दीप सिद्धू के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने बढ़ाया कदम, अदालत ने खड़े किये कई सवाल

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने 26 जनवरी को लालकिले पर तिरंगे के अपमान के मामले में दोबारा गिरफ्तार दीप सिद्धू को पुलिस हिरासत में भेजने की दिल्ली पुलिस की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गजेंद्र सिंह नागर ने आज ही 4 बजे फैसला सुनाने का आदेश दिया।

दीप सिद्धू की दोबारा गिरफ्तारी पर खड़े हुए सवाल

सुनवाई के दौरान दीप सिद्धू की ओर से वकील अभिषेक गुप्ता ने कहा कि उसे दूसरे एफआईआर के मामले में हिरासत में रखा गया था। उन्होंने कहा कि सेशंस कोर्ट ने हर पहलू पर गौर करने के बाद दीप सिद्धू को जमानत दी थी। उन्होंने दीप सिद्धू को रिहा करने की मांग की। गुप्ता ने कहा कि पुलिस ने फर्जी मामले में उसे गिरफ्तार किया है। उन्होंने पुलिस की ओर से चार दिनों की हिरासत की मांग का विरोध करते हुए कहा कि एक दिन की जेल भी संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।

गुप्ता ने कहा कि दीप सिद्धू के खिलाफ दर्ज दोनों एफआईआर में एक समान आरोप हैं। दीप सिद्धू के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं लगाए गए हैं। गुप्ता ने कोर्ट से सेशंस कोर्ट के जमानत के आदेश पर गौर करने को कहा। उन्होंने कहा कि दीप सिद्धू के खिलाफ जो वीडियो साक्ष्य के रूप में दिए गए हैं उनमें कोई विवाद नहीं है, ऐसे में उसे हिरासत में रखे जाने का कोई मतलब नहीं है। सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी ने कहा कि इस मामले में हमने दीप सिद्धू को 17 अप्रैल को गिरफ्तार किया था, तब अभिषेक गुप्ता ने कहा कि नहीं, दिल्ली पुलिस ने 13 अप्रैल को ही गिरफ्तार किया था।

गुप्ता ने कहा कि जब दोनों मामलों में एफआईआर क्राईम ब्रांच ने ही किया है तो उसे पहले गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि दीप सिद्धू की गिरफ्तारी के पहले अर्नेश कुमार के फैसले के मुताबिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। तब कोर्ट ने कहा कि आपने जो अर्जी दायर की है उस पर बिना जवाब के हम सुनवाई पूरी नहीं कर सकते हैं।

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया कि दीप सिद्धू ने एफआईआर को निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया। तब कोर्ट ने कहा कि वे एफआईआर निरस्त करने की मांग नहीं कर रहे हैं, वे पुलिस हिरासत का विरोध कर रहे हैं। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आपने दीप सिद्धू को पहले क्यों नहीं गिरफ्तार किया। तब सरकारी वकील ने कहा कि ये दिल्ली पुलिस का विशेषाधिकार है। तब कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि क्या जमानत के बाद गिरफ्तारी आपको अजीब नहीं लग रही है।

तब सरकारी वकील ने कहा कि अनुच्छेद 21 में भी प्रतिबंध हैं। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी की जरूरत के बारे में जांच अधिकारी ने बताया है। अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 167(2) के तहत जांच अधिकारी को गिरफ्तारी की जरूरत थी। क्या जांच अधिकारी को एक मामले में जमानत मिलने के बाद दूसरे मामले में गिरफ्तार करने की रोक है।

कोर्ट ने पिछले 18 अप्रैल को दीप सिद्धू को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था। दिल्ली पुलिस ने दीप सिद्धू की चार दिनों की न्यायिक हिरासत की मांग की थी, लेकिन ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने दिल्ली पुलिस की मांग को खारिज करते हुए एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। पेशी के दौरान दीप सिद्धू की ओर से वकील जसदीप ढिल्लो ने दिल्ली पुलिस की मांग का विरोध करते हुए कोर्ट के 17 अप्रैल के उस आदेश को दिखाया जिसमें उसे दूसरे एफआईआर में जमानत मिली थी।

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दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर में कोर्ट ने पिछले 17 अप्रैल को दीप सिद्धू को जमानत दे दी थी। जमानत पर रिहा होते ही आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से लालकिले को नुकसान पहुंचाने के मामले में पुलिस ने दीप सिद्धू को 17 अप्रैल को ही गिरफ्तार कर लिया था। दीप सिद्धू को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हरियाणा के करनाल से पहली बार 9 फरवरी को गिरफ्तार किया था।