उत्तराखंड के से लगातार जमीन धंसने के मामले सामने आ रहे हैं। जमीन धंसने की वजह से शहर के कई मकानों में दरारें आ गई हैं। जोशीमठ शहर में कई मकानों में दरारें आने के बाद गुरुवार को परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। शहर में लगातार लोगों का प्रदर्शन जारी है। चिंताजनक स्थिति को देखते हुए शनिवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ जाएंगे और हालात का जायजा लेंगे।
जोशीमठ जाएंगे सीएम धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “जोशीमठ में भूस्खलन और मकानों में आई दरारों को लेकर मैं आज शाम देहरादून में शीर्ष अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक करूंगा। मैं कल जोशीमठ जाऊंगा और स्थिति का जायजा लूंगा। बीजेपी की एक टीम भी वहां भेजी गई है।” वहीं, गढ़वाल डिवीजन के डिविजनल कमिश्नर सुशील कुमार ने बताया, “हम यहां स्थिति का निरीक्षण कर उसका उपाय करने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में नीचे से पानी आने की वजह से दरारें आई हैं। मकानों और सड़कों पर जो दरारें आई हैं, उनका आकलन किया जा रहा है।”
BJP ने गठित की टीम
सीएम धामी के साथ इस बैठक में आपदा प्रबंधन, सिंचाई, गृह विभाग के अधिकारियों के अलावा आयुक्त गढ़वाल मंडल और जिलाधिकारी चमोली भी शामिल होंगे। वहीं, भाजपा की राज्य इकाई ने भी पार्टी के राज्य महासचिव आदित्य कोठारी के समन्वय में एक 14 सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो जमीन धंसने की घटना और बताए जा रहे नुकसान का आकलन करेगी।
अधिकारियों ने किया डोर-टू-डोर सर्वे
दरारों को देखते हुए जोशीमठ में अगले आदेश तक निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गयी है। NTPC की परियोजना पर भी रोक लगा दी गयी है। एनटीपीसी ने अपने तपोवन प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी गयी है। प्रशासन और राज्य आपदा प्रबंधन के अधिकारियों सहित विशेषज्ञों की एक टीम ने जोशीमठ में भू-धंसाव से प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया। गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार और आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने डोर-टू-डोर सर्वे शुरू किया।
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Shelter House में रह रहे जोशीमठ के निवासी
जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा कि जोशीमठ में लगातार जमीन धंसने के कारण 561 घरों में दरारें आ गई हैं। घरों में दरारें आने के बाद अब तक कुल 66 परिवार जोशीमठ से पलायन कर चुके हैं। शहर के घरों और सड़कों में दरारें देखकर जोशीमठ के निवासियों को प्रशासन द्वारा उन्हें खाली कर नगरपालिका के रैन बसेरों में स्थानांतरित कर दिया गया है। अधिकारियों ने कहा कि प्रभावित लोग, उनके परिवार और बच्चे वर्तमान में रैन बसेरों में रह रहे हैं।