दिल्ली हिंसा के आरोपियों को बचाने के लिए कांग्रेस ने कसी कमर, खड़ी कर दी वकीलों की फौज

गणतंत्र दिवस के के दिन दिल्ली में हुई ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा ने विदेशों तक की सुर्ख़ियों में जगह बनाई है। इस हिंसा के दौरान आंदोलित किसानों ने जमकर उपद्रव किया, जिन्हें रोकने की कोशिश में 400 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। इस हिंसक घटना को लेकर कई मामले दर्ज किये गए हैं, जिसके तहत कुछ आरोपित प्रदर्शनिकारियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि कई अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। हालांकि, इन हिंसक मामलों के आरोपियों को बचाने के लिए अब कांग्रेस ने कमर कस ली है।

कांग्रेस सरकार ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर

दरअसल, पंजाब की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने ट्रैक्टर रैली हिंसा के आरोपित किसानों का केस लड़ने का फैसला लिया है। इस फैसले के साथ ही सरकार ने वकीलों की टीम भी बना दी है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार द्वारा आरोपित किसानों को बचाने के लिए बनाई गई वकीलों की इस टीम में करीब 70 वकील शामिल हैं। ये सभी वकील दिल्ली में हुए ट्रैक्टर रैली हिंसा के आरोपियों के केस लड़ते नजर आएंगे। इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुद सोशल मीडिया के माध्यम से ऐलान किया कि दिल्ली हिंसा के आरोपितों को राज्य सरकार की तरफ से कानूनी सहायता मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने किसानों के लापता होने के नैरेटिव को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वो इस मामले को व्यक्तिगत रूप से केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष उठाने वाले हैं, ताकि हर व्यक्ति सुरक्षित घर पहुँचे। सहायता के लिए 112 पर कॉल करने की अपील की गई है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि 2 महीने से भी अधिक का समय बीत चुका है। हमारे किसान दिल्ली में मर रहे हैं। उन्हें पुलिस पीट रही है। गुंडे भी उनकी पिटाई कर रहे हैं। उन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों ने अमित शाह से भी मुलाकात की है। अमित शाह ने कहा कि केंद्र कभी भी किसानों से बातचीत के लिए तैयार है। पंजाब सरकार ने उन्हें ‘लापता किसानों की सूची’ भी सौंपी।

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बता दें कि पंजाब के किसान और सिख धार्मिक संगठनों का दावा है कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद से 400 से अधिक किसान और नौजवान लापता हैं। दिल्ली पुलिस ने इस दावे को नकार दिया है। दूसरी ओर, दिल्ली हाई कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें लाल किले हिंसा के लिए पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की माँग की गई थी। अदालत ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया है।