बुद्ध की प्राचीन महापरिनिर्वाण प्रतिमा का केमिकल ट्रीटमेंट शुरू, प्रधानमंत्री करेंगे पूजन

कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मन्दिर में स्थित बुद्ध की पांचवी सदी की शयन मुद्रा वाली प्रतिमा का केमिकल ट्रीटमेंट शुरू कर दिया गया। लखनऊ से पांच सदस्यीय टीम मन्दिर पहुंच चुकी है। प्रधानमंत्री 20 अक्टूबर को इस प्रतिमा के समक्ष पूजन अर्चन करेंगे।

पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग प्रतिमा को संरक्षित करता है। पीएम के कार्यक्रम के दृष्टिगत पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी कुशीनगर पहुंच चुके है। मन्दिर की सभी व्यवस्थाओं को अपडेट किया जा रहा है। युद्ध स्तर पर साफ सफाई व रंग रोगन का कार्य सहित धरोहरों और पुरातात्विक महत्व के सभी स्थलों को दुरुस्त किया जा रहा है। बुद्ध की शयन मुद्रा वाली प्रतिमा यहां खास है। यह प्रतिमा देश विदेश के लोगों का मुख्य आकर्षण है।

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गौरतलब है कि गुप्तकाल में निर्मित यह प्रतिमा पुरातात्विक अवशेषों की खुदाई के दौरान वर्ष 1876 में प्राप्त हुई थी। बलुए पत्थर से बनी इस 6.10 मीटर लम्बी यह प्रतिमा के प्रस्तर फलक पर बुद्ध के अंतिम समय में साथ रहे तीन शिष्यों का भी चित्रण है। पांचवी शताब्दी का एक अभिलेख भी है जिस पर प्रतिमा के समर्पणकर्ता हरिबल का भी उल्लेख है। यह प्रतिमा सर के तरफ से मुस्कुराती हुई, मध्य से चिंतन मुद्रा और पैर के तरफ शयन मुद्रा में प्रतीत होती है। प्रतिमा की इस विशेषता को महसूस करने के लिए देश दुनिया से सैलानी खिंचे चले आते हैं।

अधीक्षक पुरातत्वविद शादाब खान ने बताया कि केमिकल ट्रीटमेंट के लिए टीम आ गई है और कार्य भी शुरू कर दिया गया है।