कजरी- बिरहा के पारंपरिक लोक रंगों से सजा आजादी का उत्सव

लखनऊ। पारंपरिक गायन, नृत्य और वादन के संगीत से देश की आजादी का महोत्सव गूंज उठा। मिर्जापुरी-बनारसी कजरी और बिरहा गायन से शहीदों को लोक कलाकारों ने नमन किया। संस्कृति विभाग के लोक जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान और अयोध्या शोध संस्थान की ओर से समारोह ‘जरा याद करो कुर्बानी’ आजादी की पूर्व संध्या पर हुआ। समारोह स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव व अमृत महोत्सव के तहत हुआ। जिसका आयोजन गोमती नगर के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान सभागार में शनिवार को हुआ। उद्घाटन के समय अयोध्या शोध संस्थान के पंच्चांग का विमोचन लोक जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव और अयोध्या शोध संस्थान निदेशक डॉ लवकुश द्विवेदी व संस्कृति विभाग के अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने किया।

कार्यक्रम की शुरुआत प्रयागराज की सोनाली चक्रवर्ती व साथी कलाकारों ने ‘ एक प्रस्तुति वीर जवानों के नाम “ प्रस्तुति से की। जिसमें ‘सुंदर सुभूमि भैया भारत के देशवा…’, ‘वंदे मातरम…’, ‘सीमवा पे चलत गोली ओ भैया…’ और ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जे…’ गीतों पर लोक नृत्य कर प्रशंसा पाई। उनके साथ शालिनी, स्मृति गुप्ता, ऋषभ यादव, क्षितिज, कार्तिक व कौस्तुभ ने शानदार नृत्य किया। कार्यक्रम में झांझ, करताल और हारमोनियम की सुमधुर धुनों पर रायबरेली के वयोवृद्ध बिरहा गायक जगन्नाथ यादव ने खूब रंग जमाये। उन्होंने देशभक्ति पर आधारित बिरहा सुनाकर लोगों में देशभक्ति का जोश भर दिया। उन्होंने ‘सारे जग का शृंगार है तिरंगा हमार…’, ‘जहां की डालों पर है सोने की चिड़ियों का वतन…’ और ‘किसानी हमार शान मितवा…’ रचनाएं गा कर खूब प्रभावित किया। उनके साथ संगत में हारमोनियम- गुरुशरण यादव, ढोलक- श्रीराम, करताल- रमेश रागी , मंजीरा- सुनील और झांझ – कृष्णानंद यादव ने बजाकर प्रस्तुति में चार चांद लगाये।

  • सब ही के नैया जाले शहर बनारस रामा…

लखनऊ लोक गायिका रंजना मिश्रा ने पारंपरिक लोक गायकी से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने ‘रंग आजादी के’ प्रस्तुति में देवी- झूला गीत ‘मैया तोरा झूला पड़ा बगियन मा…’, अवधी ‘निमिया तले डोला रख दे मुसाफिर…’, देशभक्ति मिर्जापुरी कजरी ‘सब ही के नैया जाले शहर बनारस रामा…’, ‘चौरी-चौरा मा जबसे लड़ाई होइल…’, ‘बबुआ लेले जहिया हमरो समान हो…’ सुनाकर पूरा माहौल देशभक्ति के रंगों से रंग दिया। संगत में हारमोनियम चंद्रेश, तबला पर पवन त्रिपाठी, ढोलक सत्यम शिवम, बांसुरी दीपेंद्र कुंवर ने वादन किया।

कोरियोग्रॉफर पुनीत मित्तल ने साथी कलाकारों के साथ अभिनय-नृत्य पर आधारित प्रस्तुति ‘वतन के वास्ते’ की प्रस्तुति की। जिसमें कथक, भरतनाट्यम शास्त्रीय नृत्यों के साथ अभिनय में ढली प्रस्तुति में शहीदों का गाथा का गान किया गया।