केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की जाँच शुरू कर दी है। अब तक नौ एफ़आईआर दर्ज किए जा चुके हैं।
केंद्रीय एजेन्सी 43 मामलों की जाँच करेगी, जिनमें संदिग्ध बलात्कार के 29 और हत्या के 12 मामले हैं। उसे कलकत्ता हाई कोर्ट को छह सप्ताह में शुरुआती रिपोर्ट सौंपनी है।

इसके लिए सीबीआई के डीआईजी (पूर्वी क्षी) अखिलेश सिंह की अगुआई में चार सेल बनाए गए हैं।
इसके अलावा भ्रष्टाचार निरोधी सेल (एसीबी) के डीआई को स्पेशन क्राइम ब्रांच की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी दी गई है।
सीबीआई के अफ़सर राज्य पुलिस से एफ़आई की कॉपी और उससे जुड़े तमाम दस्तावेज लेंगे, मामले से जुड़ी फ़ाइल का अध्ययन करेंगे।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान ही टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में जमकर झड़पें हुई थीं और नतीजे आने के बाद टीएमसी के कार्यकर्ताओं पर गुंडागर्दी करने का आरोप बीजेपी ने लगाया था।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के दौरान कहा था कि हत्या, बलात्कार और महिलाओं के ख़िलाफ़ हुए अपराधों के आरोपों की जांच सीबीआई करेगी जबकि हिंसा के बाक़ी आपराधिक मामलों की जांच बंगाल पुलिस की एसआईटी करेगी।
अदालत ने कहा कि कोलकाता के पुलिस आयुक्त सोमेन मित्रा जांच का हिस्सा होंगे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी एनएचआरसी की रिपोर्ट में कहा गया था कि ममता बनर्जी और उनकी सरकार ने हिंसा को रोकने की कोशिश नहीं की और आयोग ने हत्या और बलात्कार के मामलों में सीबीआई जांच की मांग का समर्थन किया था।
आयोग ने कहा था कि राज्य में क़ानून के शासन के बजाय शासक का क़ानून चल रहा था और स्थानीय पुलिस ने घोर लापरवाही की।
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