छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में शुक्रवार की शाम से अगले 10 दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लगाने की घोषणा की गई है। रायपुर के जिलाधिकारी एस. भारतीदासन के मुताबिक कोरोना संक्रमण के चलते रायपुर जिला अंतर्गत संपूर्ण क्षेत्र को 9 अप्रैल शाम 6 से 19 अप्रैल सुबह 6 बजे तक कंटेनमेंट जोन घोषित किया जा रहा है। इस दौरान रायपुर जिले की सभी सीमाएं बंद रहेंगी।
लॉकडाउन की घोषणा से पहले सीएम ने मंत्रियों के साथ की बैठक
लॉकडाउन घोषित किये जाने से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को अपने मंत्रियों के साथ कोविड-19 संक्रमण से उत्पन्न परिस्थितियों पर विभिन्न सामाजिक संगठनों और प्रमुख लोगों के साथ चर्चा की। मुख्यमंत्री ने पांचों संभाग मुख्यालयों से वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़े सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के संदर्भ में सुझाव मांगे।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि जहां-जहां आक्सीजन सुविधा वाले बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जा सकती है, वहां प्राथमिकता से बिस्तरों की संख्या बढ़ाएं। उन्होंने कोरोना मरीजों के लिए निजी अस्पतालों में आक्सीजन सुविधा वाले बिस्तरों की आरक्षित संख्या 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने का भी सुझाव दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन बीमारी की गंभीरता के आधार पर मरीजों को विस्तर उपलब्ध कराएं।
राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों के मुताबिक मुख्यमंत्री बघेल ने कोरोना की रोकथाम के लिए समाज के सभी प्रमुख लोगों और सामाजिक संगठनों को सरकार की खुलकर मदद करने की अपील की। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष जिस तरह से समाज के सभी तबकों के सहयोग से कोरोना संक्रमण को रोकने में कामयाबी मिली थी, उसी तरह के सहयोग की जरूरत है। उन्होंने अस्पतालों और कोविड केयर सेंटर्स में आक्सीजन सुविधा वाले बिस्तरों की संख्या बढ़ाने और लॉकडाउन वाले इलाकों में जरूरतमंदों को भोजन एवं अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए आर्थिक और भौतिक सहयोग प्रदान करने की भी अपील की।
मुख्यमंत्री ने बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़े एम्स रायपुर, डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय, सिम्स बिलासपुर के विशेषज्ञों और इंडियन मेडिकल काउंसिल के प्रतिनिधियों से भी कोरोना संकट से निपटने के सुझाव मांगे। विशेषज्ञों ने अस्पतालों में ऑक्सीजन सुविधा वाले बिस्तरों की संख्या बढ़ाने और पर्याप्त संख्या में मानव संसाधन की जरूरत बताई। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित लोग इलाज के लिए अस्पताल काफी देरी से पहुंच रहे हैं। गंभीर अवस्था में पहुंचने के कारण मरने वालों की संख्या बढ़ रही है।
यह भी पढ़ें: कपड़े निकालकर जमीन पर लेटे भाजपा विधायक, पुलिस अधिकारी पर लगाए गंभीर आरोप
इंडियन मेडिकल काउंसिल के प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया कि गंभीर मरीजों के इलाज के लिए एक सेंट्रल रेफरल सिस्टम बनाया जाना चाहिए। साथ ही सरकारी और निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल कर मानक ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल भी निर्धारित किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने पांचों संभागीय मुख्यालयों से वीडियो कॉन्फ्रेंस से जुड़े मुस्लिम समाज, सिक्ख समाज, मसीही समाज, जैन समाज, बौद्ध समाज, ब्राह्मण समाज, क्षत्रिय समाज, साहू समाज, कुर्मी समाज, देवागंन समाज, यादव समाज, सतनामी समाज, गोंड़ समाज, नागेशिया समाज, कंवर समाज, उरांव समाज, पहाड़ी कोरवा समाज समेत समाज के अन्य प्रतिनिधियों से चर्चा के दौरान कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार कोरोना संक्रमण के प्रति लोग कम जागरूक हैं। इससे बचने के लिए अपनाई जाने वाली सावधानियों के बारे में लोग शिथिल हो गए हैं। शहरों के साथ ही गांवों में भी कोविड-19 के मरीज मिल रहे हैं। पूरा का पूरा परिवार संक्रमित हो जा रहा है।
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, आबकारी मंत्री कवासी लखमा, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया, मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी और मुख्य सचिव अमिताभ जैन प्रमुख शामिल हुए।