प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिन के अमरीका दौरे पर रवाना हो गए हैं। यह उनकी पहली स्टेट विजिट है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन के न्योते पर अमरीकी पहुंचे पीएम मोदी का ये दौरा काफी अहम माना जा रहा है। इस दौरे पर पीएम मोदी अमरीकी राष्ट्रपति बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इसके अलावा न्यूयॉर्क में योग दिवस पर योग करेंगे। साथ ही वे व्हाइट हाउस में आयोजित किए गए डिनर में शामिल होंगे। पीएम मोदी के इस दौरे पर दोनों देशों के बीच डिफेंस डील भी होंगीं, इस डील के होने से भारत को कितना लाभ होगा। भारत अत्याधुनिक प्रीडेटर ड्रोन पाकर कितना बलवान हो जाएगा, यह ऑपरेट कैसे होता है और इनकी खासियत क्या है, आइए इस पर एक नजर डालते हैं
बता दें की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमरीका यात्रा से पहले ही भारत ने अमरीकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स से प्रीडेटर ड्रोन्स खरीदने का फैसला कर लिया था। बीती 15 जून को रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इसके तहत भारत अमरीका से 31 ड्रोन खरीदेगा, जिसमें 15 एमक्यू-9बी सी गार्डियंस और 16 स्काई गार्डियंस शामिल होंगे।
प्रीडेटर ड्रोन की खूबी क्या है
इस मानवरहित ड्रोन की सबसे बड़ी खूबी यह है कि दुश्मन को इसके आने-जाने की भनक तक नहीं लगती, और यह ड्रोन अपना काम करके आ जाती है। इस ड्रोन की लंबाई 11 मीटर और इसके पंखों की लम्बाई 20 मीटर है। यह ड्रोन 35 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है। यह ड्रोन 444 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता है। ये 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
यह ड्रोन मिसाइल और बम सहित 1746 किलो के वजन को आसानी से अपने साथ लेकर उड़ने की कुब्बत रखता है। एक बार उड़ान भरने के बाद यह करीब 1800 किलोमीटर तक आसानी से सफ़र कर सकता है।
दुनिया भर में मौजूद अन्य ड्रोन की तुलना में यह ड्रोन अधिक दूरी तक उड़ान भरने और किसी भी एयरक्राफ्ट की तुलना में मिशन को सफल बनाने में सबसे ज्यादा सक्षम है। दिन हो या रात, स्काई गार्जियन और सी गार्जियन की मदद से यह किसी भी हालात में पूरी गति से साफ वीडियो प्राप्त कर सकता है।
ऐसे होता है ऑपरेट
एमक्यू-9 ड्रोन को भारतीय सेना के जवान कंट्रोल रूम में बैठकर ऑपरेट कर सकते हैं। जैसे- जैसे इसे कंट्रोल रूम से निर्देश दिया जाएगा, ये ठीक वैसे ही रियेक्ट करेगा। इसे ऑपरेट करना बेहद सरल है। बता दें कि यह ड्रोन अभी केवल इजराइल और अमेरिका के पास है।
ड्रोन की डिलीवरी पूरी होने के बाद भारत की सुरक्षा ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। मालूम हो यह ड्रोन इन-बिल्ट वाइड-एरिया मैरीटाइम रडार, ऑटोमेटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर्स और एक सेल्फ कंटेन्ड एंटी सबमरीन वॉरफेयर यानी ASW किट से लैस है।
यह भी पढ़ें: प्रधानमंत्री से मिलकर बोले एलोन मस्क- ‘मैं हूं मोदी का फैन’, भारत में निवेश पर की ये बात
भारत को इसकी जरुरत
आपके मन में यह सवाल उठ रहा है की भारत को इस ड्रोन की क्या जरुरत है तो बता दें कि एमक्यू-9बी ड्रोन को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा जरूरतों की दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है। फ़िलहाल भारत के अपने पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान से रिश्ते तनावपूर्ण हैं। इस लिजाज से ये ड्रोन मिलने से सेना की ताकत बढ़ेगी।
इससे चीन के साथ लगती सीमा जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहा जाता है यहां पर भारत के निगरानी तंत्र में बड़ा बदलाव आएगा। इस ड्रोन के माध्यम से चीन की हरकतों पर बारीकी से निगरानी रखी जा सकेगी। भारतीय नौसेना इसके जरिये हिंद महासागर में हो रही गतिविधियों पर भी पैनी नजर रख सकेगी। पाकिस्तान पार से ड्रोन के जरिए भारत में भेजे जा रहे ड्रग्स और हथियारों पर भी इससे लगाम लगेगा। यह ड्रोन भारतीय सेना को संबल प्रदान करेगी।
तीनों सेनाओं के पास होंगे ड्रोन
ये सभी 31 ड्रोन एक ट्राई-सर्विस कमांड के तहत काम करेंगे। लेकिन समान रूप से वितरित नहीं किए जाएंगे। भविष्य के जरुरत के मुताबिक थियेटर कमांडर और चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के प्रमुख के निर्देशानुसार तीनों ऑपरेशनल सेंटर मिशन स्पेसिफिक रोल्स के आधार पर इसकी भूमिका तय करेंगे।
इसी ड्रोन ने किया था सुलेमानी और जवाहिरी का खात्मा
इस ड्रोन की ताकत कितनी है और यह क्या कर सकती है इन सवालों का जवाब इसने पहले ही दे दिए हैं। बता दें कि, इसी ड्रोन की मदद से अमरीका ने मोस्ट वांटेड आतंकी सुलेमानी और जवाहिरी को मौत की नींद सुलाया था। इस ड्रोन ने तीन जनवरी 2020 को इराक की राजधानी बगदाद के हवाई अड्डे पर मिसाइल हमले में ईरानी कुद्स फोर्स के कमांडर सुलेमानी और इराकी पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स के डिप्टी कमांडर अबू महदी अल-मुहांडिस को मार गिराया था।
इसके बाद इसी ड्रोन से अमरीका ने अगस्त 2022 में अफगानिस्तान के काबुल में अलकायदा के सरगना अयमान अल जवाहिरी को ढेर किया था। इस ड्रोन से हेलफायर आरएक्स-9 मिसाइल दागी गई। इसने एकदम सटीक निशाना साधा, जिससे जवाहिरी का खात्मा हो सका।