मोदी पर बनाई गई BBC की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन को लेकर गर्माई राजनीति के बीच आज(3 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई कि क्या इस पर बैन सही है या गलत? केंद्र सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को भारत सरकार के खिलाफ एक प्रोपेगेंडा बताते हुए बैन कर दिया था। इसे लेकर याचिकाएं लगाई गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित BBC डॉक्यूमेंट्री को सेंसर करने से रोकने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। SC ने केंद्र से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।
पहले ये बात जानें
मामले पर अब अप्रैल में सुनवाई होगी। याचिकाकर्ताओं के वकील सीयू सिंह ने ट्विटर से लिंक हटाए जाने का हवाला दिया। सुप्री कोर्ट ने कहा कि वो सरकार से इससे जुड़े आदेश की फाइल मंगा रही है। जस्टिस संजीव खन्ना ने याचिकाकर्ताओं के वकील से सवाल किया कि वे हाई कोर्ट क्यों नहीं गए? इस पर सी यू सिंह ने तर्क दिया कि सरकार को इस तरह की शक्ति देने वाले कानून को चुनौती सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस पर बेंच ने केंद्र को नोटिस जारी करने की बात कही। नोटिस जारी कर रहे हैं। जब सीयू सिंह ने मामले की सुनवाई जल्द करने की मांग करते हुए कहा कि जो लोग डॉक्यूमेंट्री देख रहे हैं, उन पर कार्रवाई हो रही है, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अलग मसला है। लोग फिर भी डॉक्यूमेंट्री देख ही रहे हैं।
पढ़िए पूरी डिटेल्स…
सीनियर जर्नलिस्ट एन राम और वकील प्रशांत भूषण ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के लिंक वाले ट्वीट्स को हटाने के खिलाफ जनहित याचिका लगाई लगाई है। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री सीरीज India:The Modi Question पर भारत सरकार द्वारा लगाए गए बैन को वकील एमएल शर्मा ने अपनी याचिका में दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक बताया है।
जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की बेंच एन राम, महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण और वकील एमएल शर्मा द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। प्रशांत भूषण और एन राम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील सीयू सिंह ने पहले कहा था कि कैसे उनके ट्विट्स को आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए डिलीट कर दिया गया। उन्होंने कहा कि राजस्थान के अजमेर में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाने के चलते छात्रों को निष्कासित कर दिया गया।
BBC डॉक्यूमेंट्री पर वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद महेश जेठमलानी ने कहा-यह दिख रहा है कि BBC चीनी स्वामित्व वाली कंपनियों के माध्यम से पूरी तरह से चीन के साथ आर्थिक रूप से जुड़ा है। डॉक्यूमेंट्री मूल रूप से चीन से प्रेरित है, उनके पास भारत विरोधी प्रचार प्रसार का एक लंबा इतिहास है।
आखिर क्या है इस डॉक्यूमेंट्री में?
दरअसल, बीबीसी ने “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” नाम से दो सीरिज में यह डॉक्यूमेंट्री बनाई है। इसे 2002 के गुजरात दंगों और उस वक्त राज्य के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी की भूमिका पर केंद्रित किया गया है। भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को देश के खिलाफ दुष्प्रचार बताते हुए बैन कर दिया था। डॉक्यूमेंट्री जारी होने के बाद केंद्र सरकार ने YouTube वीडियो और बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के लिंक शेयर करने वाले ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए थे। इस पर बैन करने के खिलाफ एंटी मोदी लॉबी देशभर में विरोध कर रही है। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी(JNU) से लेकर केरल, हैदराबाद तक डॉक्यूमेंट्री को लेकर राजनीति गर्माती रही।
हालांकि कांग्रेस का एक धड़ा भी इसके खिलाफ
हालांकि इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर कांग्रेस में ही एकमत नहीं है। इस मामले में मोदी के सपोर्ट में आए कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व रक्षामंत्री एके एंटोनी(Arackaparambil Kurien Antony) के बेटे अनिल ने पिछले दिनों कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। अनिल एंटोनी ने कहा था कि जब उन्होंने डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ ट्वीट किया तो उन्हें धमकी भरे कॉल और नफरत भरे संदेश मिले थे।
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कांग्रेस नेता शशि थरूर भी इस मामले को तूल देने के पक्ष में नहीं दिखे थे। उन्होंने एक ऑनलाइन पोर्टल से बात करते हुए कहा था कि भारत इस त्रासदी से आगे बढ़ गया है और लोगों को इस मामले से आगे बढ़ना चाहिए। इस घटना को दो दशक बीत चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट भी अपना फैसला सुना चुकी है। इसलिए इस मुद्दे पर बहस करने से कोई फायदा नहीं होगा।