उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में मंगलवार को ललौली कस्बे के सदर बाजार में स्थित नूरी जामा मस्जिद के पिछले हिस्से को नाले के निर्माण से संबंधित अतिक्रमण के कारण गिरा दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान एडीएम अविनाश त्रिपाठी और एएसपी विजय शंकर मिश्रा मौजूद थे, साथ ही क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद था।
नूरी जामा मस्जिद समिति को पीडब्ल्यूडी विभाग ने थमाई थी नोटिस
नूरी जामा मस्जिद समिति को नाले के निर्माण के लिए सर्वेक्षण करते समय पीडब्ल्यूडी विभाग से नोटिस मिला। रिपोर्टों के अनुसार, 133 घर और व्यवसाय, साथ ही मस्जिद का पिछला हिस्सा अवैध था। मस्जिद समिति ने निर्माण को मंजूरी देने के लिए एक महीने का समय मांगा था, लेकिन उन्होंने समय सीमा में इसे पूरा नहीं किया।
मस्जिद के अवैध हिस्से को हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया। सुरक्षा के लिए मौके पर आरएएफ, पीएसी और राजस्व टीम तैनात थी और वहां आम लोगों की आवाजाही पर रोक थी।
समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर की थी याचिका
एएसपी विजय शंकर मिश्रा के अनुसार, तोड़फोड़ शांतिपूर्ण तरीके से की गई और केवल इमारत के पीछे के हिस्से को निशाना बनाया गया, जो अनधिकृत पाया गया था। हालांकि, नूरी जामा मस्जिद कमेटी के सचिव सैयद नूरी ने दावा किया कि तोड़फोड़ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में नोटिस के खिलाफ दायर एक रिट के खिलाफ की गई थी और 13 दिसंबर को सुनवाई के लिए निर्धारित की गई थी। उनके अनुसार, यह कार्रवाई अदालत की अवमानना के बराबर थी।
लगाई थी मस्जिद तोड़े जाने पर रोक लगाने की फ़रियाद
नूरी जामा मस्जिद की प्रबंधन समिति ने राज्य सरकार की सड़क चौड़ीकरण परियोजना के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस फ़रियाद में अपील की गई थी कि सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए मस्जिद के एक हिस्से को ध्वस्त करने की पीडब्ल्यूडी की योजना मस्जिद के एक महत्वपूर्ण हिस्से को नुकसान पहुंचाएगी और इसे रोका जाना चाहिए।
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नूरी जामा मस्जिद करीब 180 साल पुरानी है। याचिका में इसे एक विरासत स्थल के रूप में मान्यता देने की भी मांग की गई थी और आरोप लगाया गया था कि विध्वंस से देश की सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय समुदायों को अपूरणीय क्षति होगी।