महाकुंभ के बाद काशी में साधु-संतों का आगमन, महाशिवरात्रि तक गंगा घाटों रहेगा डेरा

महाकुंभ के बाद काशी में साधु-संतों का आगमन, महाशिवरात्रि तक गंगा घाटों रहेगा डेरा

वाराणसी। प्रयागराज महाकुंभ के बाद अब अखाड़े, साधु संत और अन्य धर्माचार्य काशी पहुंचने की तैयारी में हैं। ये श्रद्धालु महाशिवरात्रि तक काशी के गंगा घाटों पर ठहरेंगे और प्रमुख तिथियों पर भगवान विश्वनाथ का दर्शन करेंगे। इसके अलावा, अखाड़े और नागाओं की ओर से नगर में शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। जानकारी के अनुसार, 7 फरवरी से प्रयागराज महाकुंभ से अखाड़ों और साधु संतों का काशी के लिए प्रस्थान शुरू हो जाएगा।

प्राचीन परंपराओं के अनुसार, काशी सबसे निकटतम तीर्थ स्थल है जहां साधु संत महाकुंभ के बाद पहुंचते हैं। काशी को भगवान शिव की नगरी माना जाता है और यहां के विभिन्न घाटों का नाम भी अखाड़ों के साथ जुड़ा हुआ है। महाशिवरात्रि तक यहां आकर साधु संत भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं और बाद में काशी से होली खेलकर प्रस्थान करते हैं।

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि यह परंपरा सनातन संस्कृति का हिस्सा है, जिसके तहत हर 12 साल में एक बार महाकुंभ का आयोजन होता है और साधु संत बसंत पंचमी के बाद काशी आते हैं। यहां निरंजनी घाट, महानिरवानी घाट, जूना घाट जैसे विभिन्न घाटों पर वे भगवान शिव की आराधना करते हैं और पूरे राजशाही परंपरा के तहत शोभायात्रा भी निकालते हैं।

प्रयागराज महाकुंभ से 7 फरवरी से साधु संतों का काशी आना शुरू हो जाएगा, और महाशिवरात्रि तक ये गंगा घाटों और अन्य धार्मिक स्थलों पर प्रवास करेंगे। इस दौरान वे भगवान विश्वनाथ के साथ होली भी खेलेंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख आस्था केंद्रों में से एक है, जहां लाखों श्रद्धालु रोजाना दर्शन के लिए पहुंचते हैं।