उत्तर प्रदेश पुलिस ने बीते मंगलवार को मुज़फ़्फ़रनगर में फ़र्जी संगठनों के नाम पर बिल जारी करके माल और सेवा कर (जीएसटी) धोखाधड़ी करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया। गिरोह ने पाँच साल में 48 फ़र्जी कंपनियाँ बनाकर कुल 925 करोड़ रुपये के फ़र्जी बिल जारी किए और 135 करोड़ रुपये का जीएसटी चुराया।
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान तस्लीम, जुनैद, आस मोहम्मद, सेठी, आसिफ, मोइन और अजीम के रूप में हुई है। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, फर्जी बिल बनाने का काम हवाला के जरिए किया जाता था।
एसएसपी अभिषेक सिंह के अनुसार, रतनपुरी थाना क्षेत्र के अश्विनी नामक व्यक्ति ने 2 सितंबर को साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि कुछ लोगों ने उसके आधार कार्ड और पैन कार्ड का इस्तेमाल कर फर्जी कंपनी बना ली है और फर्जी बिल बनाकर जीएसटी चोरी की है। इस मामले में 248 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने बाद में मामले की जांच की तो पता चला कि 135 करोड़ रुपये के जीएसटी का गबन करने के लिए 925 करोड़ रुपये के फर्जी बिल बनाए गए थे। गिरफ्तार आरोपी तस्लीम को पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। हालांकि, पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन मामले में आरोपी तस्लीम का भाई वहदत फरार है।
एसएसपी ने भी पुष्टि की कि तस्लीम गिरोह का मास्टरमाइंड है। पुलिस ने बताया कि यह गिरोह बेरोजगार युवकों को नौकरी का लालच देकर उनके दस्तावेज लेता था।
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गिरफ्तार किए गए एक अन्य व्यक्ति अजीम पर आरोप है कि वह युवकों का फर्जी केवाईसी तैयार करता था ताकि उनके नाम पर फर्जी जीएसटी नंबर के साथ फर्जी फर्म शुरू की जा सके। इसके बाद गिरोह देशभर में स्क्रैप और कबाड़ का कारोबार करने वाले ऐसे व्यापारियों की तलाश करता था जिनके पास जीएसटी नंबर नहीं होता था और उनके साथ कारोबार करता था।