भारत संग 29 देशों की सेनाएं करेंगी अभ्यास, ड्रैगन सुरक्षा के लिए मानता है खतरा

भारत संग 29 देशों की सेनाएं करेंगी अभ्यास, ड्रैगन सुरक्षा के लिए मानता है खतरा

  • अभ्यास में 150 विमान, 40 सतही जहाज, तीन पनडुब्बियां और 25,000 से अधिक सैनिक शामिल हैं।

बीजिंग। हवाई द्वीप और उसके आसपास रिम ऑफ द पैसिफिक (रिमपैक) अभ्यास 27 जून को हवाई में शुरू हुआ है। एक अगस्त तक चलने वाले इस अभ्यास में 29 देशों के सशस्त्र बल हिस्सा ले रहे हैं। 1971 में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमरीका ने इस अभ्यास को शुरू किया। इस एक्सरसाइज में अब दक्षिण कोरिया, जापान, भारत, दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र, लैटिन अमेरिका और कई नाटो सहयोगी शामिल हैं।


इस अभ्यास में 150 विमान, 40 सतही जहाज, तीन पनडुब्बियां और 25,000 से अधिक सैनिक शामिल हैं। इसमें जलस्थलीय लैंडिंग से लेकर शहरी युद्ध प्रशिक्षण, पनडुब्बी रोधी युद्ध, जहाज डुबोने के अभ्यास के साथ भारत के राफेल भी गरजेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच इस सामूहिक सैन्य कौशल का भूराजनीतिक महत्त्व है। अमरीका और उसके यूरोपीय सहयोगियों ने बहुपक्षीय साझेदारी को तेज करते हुए नए रक्षा समझौते किए हैं और प्रशांत क्षेत्र में सैन्य क्षमताओं को मजबूत किया है।


दूसरी ओर चीन ने ताइवान के आसपास अपने सैन्य अभ्यास बढ़ा दिए हैं और दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीपों और तटों को लेकर फिलीपींस के साथ उसका बार-बार टकराव हुआ है। नाटो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है, तो चीन इसे अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नाटो देशों की बढ़ती भागीदारी चीन के बढ़ते प्रभाव और क्षेत्रीय दावों का मुकाबला करने में एक रणनीतिक बदलाव का प्रतीक है।


इंडो-पैसिफिक से अपनी औपचारिक अनुपस्थिति के बावजूद नाटो क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ सुरक्षा और रक्षा समझौतों को कायम रखता है, जो दोनों क्षेत्रों की पारस्परिक निर्भरता को रेखांकित करता है। हाल के वर्षों में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र वैश्विक भू-राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण टकराव बिंदु के रूप में उभरा है।