आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर फिर तेज रफ्तार से दर्दनाक हादसा

डिवाइडर से टकराई बस तो पीछे से आ रही कार उसमें घुस गई, दो की मौत

कन्नौज। एक्सप्रेस-वे पर रफ्तार पर नियंत्रण नहीं होने से हादसों पर विराम नहीं लग पा रहा है। शनिवार को ऐसी ही एक घटना कन्नौज में हुई है। यहां दिल्ली से सवारियों को लेकर बिहार के मुज़फ्फरपुर जा रही एक प्राइवेट बस आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हादसे का शिकार हो गई। टायर फटने से अनियंत्रित हुई बस डिवाइडर से टकरा गई।

फोटाो: साभार गूगल

बस से उतर कर लोग उसमें हुए नुकसान को देखने लगे, इसी बीच पीछे से आई एक तेज रफ्तार कार भी अनियंत्रित होकर बस में जा घुसी। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई। पांच को नाज़ुक हालत में मेडिकल कॉलेज से कानपुर भेजा गया है। हादसा एक्सप्रेस-वे पर तिर्वा कोतवाली क्षेत्र के बनपुरा गांव के सामने हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बस का टायर फटने से अनियंत्रित होकर वो डिवाइडर से टकरा गई। टायर फटने से बस में सवार मुजफ्फरपुर के महदैया गांव निवासी राकेश कुमार ठाकुर नीचे उतरकर देखने लगा, तभी पीछे से आ रही कार भी अनियंत्रित हो गई। कार ने नीचे खड़े राकेश कुमार ठाकुर को कुचल दिया और डिवाइडर से टकराकर पलट गई।

इससे राकेश कुमार ठाकुर गंभीर रूप से घायल हो गए। कार सवार पश्चिम बंगाल की सिलीगुड़ी के जेगाओं निवासी शबीना बीबी भी गंभीर रूप से घायल हो गई। इसके अलावा कार सवार सीताराम, विशाल, दुर्गा शर्मा भी गंभीर रूप से घायल हो गए। बस सवार शौकत अली व अमीरुल्ला भी घायल हो गए। यूपीडा के कर्मी मौके पर पहुंचे और घायलों को एंबुलेंस से राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। वहां इलाज के दौरान बस सवार राकेश ठाकुर व कार सवार शबीना की मौत हो गई। तिर्वा कोतवाली पुलिस ने क्षतिग्रस्त बस व कार को कब्जे में लेकर कोतवाली में खड़ा करवा दिया। पांच घायलों की हालत गंभीर होने पर उनको कानपुर रेफर कर दिया गया।

तेज रफ्तार का गंदा खेल

302 किमी लंबा आगरा एक्सप्रेस वे, इसपर गाड़ी लेकर चलते ही एक्सीलरेटर और मीटर का कांटा अपने आप ही बढ़ जाता है। यही कारण है कि तेज रफ्तार में लगातार हादसे होते हैं। इसके बाद भी इस पर जानलेवा रफ्तार का खेल जारी है और जिम्मेदार बेपरवाह बैठे हैं।

23 दिसंबर 2016 से खोला गया एक्सप्रेस वे

लखनऊ एक्सप्रेसवे हल्के वाहनों के लिए 23 दिसंबर 2016 से खोला गया। इस पर 19 जनवरी 2016 से टोल टैक्स भी लगने लगा। वाहनों का आवागमन तो एक्सप्रेसवे खुलते ही शुरू हो गया। इसी के साथ हादसों की भी शुरुआत हो गई।

अगस्त 2017 से मार्च 2018 तक लखनऊ एक्सप्रेस वे पर 873 दुर्घटनाएं हुईं

इस पर 17 माह में हुए हादसों का आंकड़ा चौकाने वाला है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केसी जैन की आरटीआइ के जवाब में यूपीडा ने एक मार्च को दिए जवाब में हादसों, उनके कारणों और इंतजामों की जानकारी दी है। इसके मुताबिक अगस्त 2017 से मार्च 2018 तक लखनऊ एक्सप्रेस वे पर 873 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 100 लोगों की मौत हुई। वर्ष 2018 में अप्रैल से दिसंबर तक एक्सप्रेसवे पर 1113 सड़क हादसे हुए जिनमें 91 लोग मरे। रिपोर्टों के मुताबिक यह हाल तब है जब एक्सप्रेस वे पर दोनों ओर पशु रोकने को फेंसिंग लगी है।