कानपुर। सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को अब निजी अस्पतालों की मनमानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। कानपुर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह (जेपी सिंह) ने जिले के सभी निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम और चिकित्सालयों को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि सड़क हादसे में घायल किसी भी व्यक्ति का इलाज बिना पैसे लिए किया जाए। इलाज के नाम पर न तो घायल से और न ही उसे अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति से कोई राशि ली जाएगी। आदेश का उल्लंघन करने वाले अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई तय है।

डीएम ने बैठक के दौरान स्पष्ट किया कि सड़क दुर्घटना के मामलों में इलाज का ‘गोल्डन ऑवर’ बेहद अहम होता है, लेकिन निजी अस्पतालों द्वारा एडवांस राशि और कागजी औपचारिकताओं के कारण कीमती समय बर्बाद हो जाता है। इस प्रवृत्ति पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए कैशलेस इलाज को अनिवार्य किया गया है।
घायलों को मिलेगा कैशलेस इलाज
जिलाधिकारी के आदेश के अनुसार सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को तुरंत भर्ती कर इलाज शुरू करना होगा। अस्पताल न तो पैसे मांगेंगे और न ही पहचान पत्र या अन्य दस्तावेजों की शर्त लगाएंगे। नियम तोड़ने पर संबंधित अस्पताल के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
1.50 लाख रुपये तक का खर्च सरकार उठाएगी
यह व्यवस्था केंद्र सरकार की ‘कैशलेस उपचार योजना-2025’ के तहत लागू की गई है। योजना के मुताबिक मोटर वाहन दुर्घटना में घायल व्यक्ति को दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिनों तक 1.50 लाख रुपये तक का इलाज पूरी तरह मुफ्त मिलेगा। इलाज का खर्च मोटर वाहन दुर्घटना निधि से किया जाएगा, जिसका भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
इलाज से पहले नहीं होगी पैसों की मांग
डीएम ने साफ कहा कि अब इलाज शुरू करने से पहले पैसे या पहचान पत्र मांगना पूरी तरह गैरकानूनी होगा। यदि किसी मरीज या उसके परिजन से इस तरह की मांग की जाती है तो वे सीधे मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) या जिलाधिकारी कार्यालय में शिकायत कर सकते हैं।
आम लोगों को मिलेगी बड़ी राहत
इस फैसले से आम नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी। अब लोग बिना किसी डर के घायल को अस्पताल पहुंचा सकेंगे। इससे समय पर इलाज संभव होगा और सड़क हादसों में जान बचने की संभावना बढ़ेगी। प्रशासन का मानना है कि इस आदेश से जिले में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में उल्लेखनीय कमी आएगी।
Sarkari Manthan Hindi News Portal & Magazine