नई दिल्ली। भारतीय संस्कृति और हिंदू परंपराओं में भोजन को केवल पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि एक संस्कार माना गया है। यही वजह है कि खाने-पीने से जुड़ी कई मान्यताएं पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं। इन्हीं में से एक मान्यता है—थाली में एक साथ तीन रोटियां या तीन पूड़ियां न परोसना। अक्सर घर के बड़े-बुजुर्ग इस बात पर खास जोर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे धार्मिक, पौराणिक और वैज्ञानिक कारण भी बताए जाते हैं?
क्यों अशुभ माना जाता है थाली में तीन रोटियां?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार अंक 3 को कई बार अशुभ घटनाओं से जोड़कर देखा गया है। कहा जाता है कि यदि किसी की थाली में तीन रोटियां, तीन पूड़ियां या तीन परांठे एक साथ परोस दिए जाएं, तो यह शुभ नहीं माना जाता। यही कारण है कि भारतीय परिवारों में भोजन परोसते समय इस बात का खास ध्यान रखा जाता है।
अगर कभी भूलवश तीन रोटियां परोस दी जाएं, तो परंपरा के अनुसार उनमें से एक रोटी को तोड़ देना या आधी कर देना उचित माना जाता है, ताकि अशुभ प्रभाव से बचा जा सके।
मृत्यु संस्कार से जुड़ी मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी व्यक्ति के निधन के बाद तेरहवीं या श्राद्ध कर्म में जो थाली परोसी जाती है, उसमें तीन रोटियां या तीन पूड़ियां रखी जाती हैं। इसी वजह से सामान्य जीवन में थाली में तीन रोटियां परोसना अशुभ संकेत माना जाता है। यही कारण है कि इसे रोजमर्रा के भोजन में वर्जित बताया गया है।
वैज्ञानिक नजरिया भी है कारण
कुछ लोग इस मान्यता को स्वास्थ्य से भी जोड़ते हैं। माना जाता है कि भोजन संयमित मात्रा में करना चाहिए और रोटियां एक-एक करके लेना पाचन के लिए बेहतर होता है। ज्यादा मात्रा में एक साथ खाना पाचन तंत्र पर दबाव डाल सकता है। इसी सोच के आधार पर तीन रोटियां एक साथ न खाने की सलाह दी जाती है।
धार्मिक कारण भी बताया जाता है
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का तीसरा नेत्र विनाशकारी शक्ति का प्रतीक है। कुछ धार्मिक व्याख्याओं में ‘तीन’ अंक को इसी विनाशकारी शक्ति से जोड़कर देखा गया है। इसी कारण से भोजन में तीन रोटियां या तीन वस्तुएं एक साथ लेने से परहेज करने की परंपरा बनी।
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