कौन हैं सम्राट चौधरी? जिन्हे1999 में बिना विधायक-बिना MLC रहते कम उम्र में मंत्री बना दिया गया था

सरकारी मंथन | विशेष :- आज हम आपको बिहार के एक ऐसे चर्चित नेता की कहानी बताने जा रहे जिन्हे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने वर्ष 1999 में बिना विधायक, बिना विधान परिषद सदस्य रहते और निर्धारित से कम उम्र में ही राबड़ी देवी सरकार में मंत्री बना दिया था।

हम बात कर रहे है, वर्तमान में बिहार के उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं बीजेपी नेता सम्राट चौधरी की…..

इस समय सम्राट चौधरी बिहार की राजनीति का एक बड़ा नाम हैं। सम्राट चौधरी बिहार के वरिष्ठ नेता, समता पार्टी के संस्थापक सदस्य व खगड़िया लोकसभा के पूर्व सांसद और 7 बार के विधायक रहे शकुनी चौधरी के बेटे है।

सम्राट चौधरी का जन्म 16 नवंबर 1968 को मुंगेर जिले के लखनपुर गांव में हुआ था। बचपन से ही उनका पारिवारिक माहौल राजनीतिक रहा, क्योंकि उनका परिवार राजनीति में बेहद सक्रिय था। बुनियादी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मदुरै कामराज यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई की।

उनके पिता शकुनी चौधरी सात बार विधायक और सांसद रह चुके हैं। उनकी मां पार्वती देवी भी तारापुर विधानसभा से विधायक रही हैं। सम्राट चौधरी की पत्नी का नाम ममता कुमारी है और उनके दो बच्चे हैं। यानी सम्राट चौधरी ने राजनीति विरासत में पाई है और आज वो उसी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

सम्राट चौधरी कोइरी (कुशवाहा) जाति से आते है। कोइरी जाति बिहार की राजनीति में एक बड़ा और मजबूत वोट बैंक मानी जाती है। यही वजह है कि बीजेपी ने उन्हें लंबे समय से अपना OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) चेहरा बनाया हुआ है।

सम्राट चौधरी का राजनीतिक सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगता है – वो कभी मंत्री बने, कभी विवादों में फंसे, कभी पार्टी बदली, लेकिन हर बार वे और मजबूत होकर राजनीति में लौटे।

सम्राट चौधरी ने राजनीति में 1990 से सक्रिय कदम रखा। उनका ये सफर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है।
1999 में उन्हें राबड़ी देवी सरकार में कृषि मंत्री बनाया गया।

शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट चौधरी को लालू यादव ने 1999 में बिना विधायक, विधान परिषद सदस्य रहते निर्धारित से कम उम्र में ही राबड़ी देवी सरकार में मंत्री बना दिया था। मुंगेर जिला के रहने वाले सम्राट चौधरी पहली बार खगड़िया जिले की परबत्ता विधानसभा सीट से साल 2000 में राजद के टिकट पर विधायक बने। दोबारा इसी सीट से वो 2010 में जीते थे. 2014 में जब जीतनराम मांझी को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनाया तो सम्राट राजद छोड़कर जेडीयू में गए और मांझी सरकार में शहरी विकास और आवास विभाग के राज्यमंत्री बने। नीतीश कुमार से टूटकर मांझी ने जब हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) बनाई तो सम्राट उनके साथ भी रहे।

2014 में सम्राट चौधरी ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेलने की भी कोशिश की थी, साल 2014 में सम्राट ने अचानक से 13 विधायकों को तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में एक अलग समूह बनाने की कोशिश की थी। इस कदम ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया था। हालांकि बाद में उन्होंने बीजेपी जॉइन कर ली और यहीं से उनकी राजनीति का नया अध्याय शुरू हुआ।

2017 में सम्राट चौधरी भाजपा में शामिल हो गए। पार्टी ने उनको प्रदेश उपाध्यक्ष, विधान परिषद का सदस्य बनाया। 2021 में नीतीश सरकार में पहली बार और कुल तीसरी बार मंत्री बने। 2022 में नीतीश महागठबंधन के साथ चले गए तो सम्राट को विधान परिषद में विपक्ष का नेता बनाया गया। 2023 मार्च में उन्हें बिहार बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया।

28 जनवरी 2024 से वो नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम हैं और बीजेपी की ओर से संभावित सीएम कैंडिडेट की चर्चा में भी सबसे आगे चल रहे हैं।