Sarkari Manthan:- इस साल वंदे मातरम् (Vande Matram) की रचना के 150 साल पूरे हो गए हैं। इस गीत को बंकिम चन्द्र चटर्जी (चट्टोपाध्याय) ने रचा था। रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत की धुन बनाई। पहली बार 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में यह गीत गाया गया था। 14 अगस्त 1947 की रात्रि में संविधान सभा की पहली बैठक का प्रारंभ ‘वंदे मातरम्’ के साथ हुआ था।
7 नवंबर 1875 को बंकिम चन्द्र चटर्जी ने वंदे मातरम् को पहली बार साहित्यिक पत्रिका बंगदर्शन में प्रकाशित किया। 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने मंच पर वंदे मातरम् गाया। यह पहला मौका था जब यह गीत सार्वजनिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर गाया गया। सभा में मौजूद हजारों लोगों की आंखें नम थीं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में वंदे मातरम् (Vande Matram) जनता की आवाज बन गया। रंगपुर के एक स्कूल में जब बच्चों ने यह गीत गाया, तो ब्रिटिश प्रशासन ने 200 छात्रों पर 5-5 रुपए का जुर्माना लगाया। सिर्फ इसलिए कि उन्होंने वंदे मातरम् कहा था। ब्रिटिश सरकार ने कई स्कूलों में वंदे मातरम् गाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय छात्रों ने कक्षाएं छोड़ दीं, जुलूस निकाले और यह गीत गाना नहीं छोड़ा। कई जगह पुलिस ने उन्हें मारा, जेल में डाला गया।

जानकारों के मुताबिक़ देश को आजादी मिलने के बाद संविधान सभा को राष्ट्रगीत तय करना था। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि वंदे मातरम् (Vande Matram) गीत ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। इसे राष्ट्रगीत जन गण मन के बराबर सम्मान और दर्जा दिया जाएगा। इसके साथ ही वंदे मातरम् को भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया।
राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में कार्यक्रम को संबोधित किया। PM ने कहा- वंदे मातरम् एक मंत्र है, एक स्वप्न है, एक संकल्प है, एक ऊर्जा है। यह गीत मां भारती की आराधना है।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्र गीत (Vande Matram) के 150 साल पूरे होने के मौके पर एक डाक टिकट और सिक्का जारी किया। उन्होंने साल भर चलने वाले स्मरण समारोह का उद्घाटन किया और एक वेबसाइट भी लॉन्च की।
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