नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में हुए संघर्षविराम (सीजफायर) को लेकर अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि यह समझौता अमेरिका की दखल से संभव हुआ। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने व्यापार और प्रतिबंधों का इस्तेमाल कर भारत को युद्धविराम के लिए मजबूर किया। भारत सरकार पहले भी इस तरह के दावों को खारिज कर चुकी है, और अब कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर आड़े हाथों लिया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से सवाल करते हुए तंज कसा कि क्या भारत ने अमेरिकी दबाव में अपने सुरक्षा हितों को गिरवी रख दिया है। रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, “कुछ दिन पहले हमें ट्रंप से पाकिस्तान के साथ युद्धविराम के बारे में पता चला। अब उन्होंने खुलासा किया है कि भारत को व्यापार और प्रतिबंधों का लालच देकर युद्धविराम के लिए मजबूर किया गया। आम तौर पर बातूनी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इस पर चुप क्यों हैं? अमेरिकी पापा ने वॉर रुकवा दी क्या?
डोनाल्ड ट्रंप ने यह बयान सऊदी अरब में आयोजित “सऊदी-अमेरिका निवेश फोरम 2025” के दौरान दिया। उन्होंने कहा, “हमने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती हिंसा को रोका। यह एक ऐतिहासिक युद्धविराम था, और मैंने इसके लिए व्यापार का इस्तेमाल किया। दोनों देशों के पास चतुर और ताकतवर नेता हैं। अब सबकुछ शांत है और उम्मीद है कि यह स्थिति बनी रहेगी।”
हालांकि भारत सरकार ने साफ किया है कि अमेरिका के साथ सीजफायर को लेकर कोई व्यापारिक समझौता नहीं हुआ है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि सीजफायर पाकिस्तान की पहल पर हुआ और भारत ने इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार नहीं की।
इस पूरे घटनाक्रम से एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है या फिर अंतरराष्ट्रीय दबावों के अधीन है। कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री से इस पर जवाब मांगा जाना बताता है कि यह मामला अब केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि राजनीतिक बहस का विषय बन चुका है।