लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण के बाद विपक्ष की ओर से वायनाड की कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोर्चा संभाला। अपने भाषण में उन्होंने अडानी का भ्रष्टाचार मामला और संभल हिंसा जैसे कई अहम मुद्दे उठाए। इस दौरान उन्होंने केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार पर जमकर निशाना भी साधा।
लोकसभा में प्रियंका गांधी ने दिया अपना पहला भाषण
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में अपना पहला संबोधन दिया। वह भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान बोल रही थीं। उनका पहला भाषण मुख्य रूप से संविधान, आरक्षण और देश भर में जाति जनगणना के लिए प्रयास के इर्द-गिर्द घूमता रहा। संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित इस बहस में पहली बार सांसद बनी प्रियंका ने संविधान निर्माता बाबासाहेब अंबेडकर के योगदान को उजागर करने के लिए उनका जिक्र किया।
प्रियंका गांधी ने अडानी मुद्दे को भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्तारूढ़ सरकार अडानी मुद्दे पर अमेरिका के आरोप पर सदन में बहस करने के लिए तैयार नहीं है।
संभल हिंसा का जिक्र कर सुनाया मृतक के परिवार की दास्ताँ
उन्होंने संभल हिंसा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि संभल के शोकाकुल परिवारों से कुछ लोग हमसे मिलने आए थे। उनमें दो बच्चे थे – अदनान और उजैर। उनमें से एक मेरे बेटे की उम्र का था और दूसरा उससे छोटा, 17 साल का। उनके पिता दर्जी थे।
उन्होंने आगे कहा कि दर्जी का एक ही सपना था कि वह अपने बच्चों को पढ़ाएगा, एक बेटा डॉक्टर बनेगा और दूसरा भी सफल होगा। पुलिस ने उनके पिता को गोली मार दी। 17 वर्षीय अदनान ने मुझे बताया कि वह बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा और अपने पिता के सपने को साकार करेगा। यह सपना और उम्मीद उसके दिल में भारत के संविधान ने डाली थी।
प्रियंका गांधी ने कहा- संविधान हमारा सुरक्षा कवच
संविधान पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी ने कहा कि हमारा संविधान सुरक्षा कवच है। ऐसा सुरक्षा कवच जो नागरिकों को सुरक्षित रखता है। यह न्याय का, एकता का, अभिव्यक्ति के अधिकार का कवच है। यह दुखद है कि 10 साल में बड़े-बड़े दावे करने वाले सत्ता पक्ष के साथियों ने इस कवच को तोड़ने की पूरी कोशिश की है। संविधान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का वादा करता है। ये वादे सुरक्षा कवच हैं और इसे तोड़ने का काम शुरू हो गया है।
प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
प्रियंका गांधी ने कहा कि लैटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए यह सरकार आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। अगर ये लोकसभा चुनाव के नतीजे नहीं होते तो ये लोग संविधान को बदलने पर भी काम करना शुरू कर देते। सच तो ये है कि ये लोग बार-बार संविधान की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन चुनावों में इन्हें पता चल गया है कि इस देश की जनता ही इस देश के संविधान को सुरक्षित रखेगी। ये चुनाव जीतते-जीतते और लगभग हारते-हारते इन्हें ये एहसास हो गया है कि संविधान बदलने की बातें इस देश में काम नहीं आएंगी।
प्रियंका गांधी ने उठाया जातिगत जनगणना का मुद्दा
राहुल गांधी की तरह जातिगत जनगणना का राग अलापते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि आज देश के लोग मांग कर रहे हैं कि जातिगत जनगणना हो। सत्ता पक्ष के साथियों ने इसका जिक्र किया, जिक्र भी लोकसभा चुनाव के नतीजों की वजह से ही हो रहा है। जातिगत जनगणना इसलिए जरूरी है ताकि हम सबकी स्थिति जान सकें और उसके हिसाब से नीतियां बनाई जा सकें।
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पहला भाषण मुख्य रूप से संविधान , आरक्षण और देश भर में जाति जनगणना के लिए प्रयास के इर्द-गिर्द घूमता रहा। संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित इस बहस में पहली बार सांसद बनी प्रियंका ने संविधान निर्माता बाबासाहेब अंबेडकर के योगदान को उजागर करने के लिए उनका जिक्र किया। प्रियंका गांधी ने अडानी मुद्दे को भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्तारूढ़ सरकार अडानी मुद्दे पर अमेरिका के आरोप पर सदन में बहस करने के लिए तैयार नहीं है।