राजस्थान की एक निचली अदालत द्वारा अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए राजी होने के एक दिन बाद समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने न्यायपालिका पर हमला बोला है। गुरुवार को सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि छोटे-मोटे जज देश को जलता हुआ देखना चाहते हैं।
पीएम मोदी भी चढाते हैं अजमेर शरीफ पर चादर
सपा नेता ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है। निचली अदालतों में बैठे छोटे-मोटे जज देश को जलाना चाहते हैं। इसका कोई मतलब नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं। देश भर से और पूरी दुनिया से लोग अजमेर शरीफ आते हैं। उस जगह को विवाद में डालना बहुत ही घृणित और उथली मानसिकता को दर्शाता है। इतना ही नहीं, सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा समर्थित लोग कुछ भी कर सकते हैं। देश में आग लग जाए तो भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें बस सत्ता चाहिए।
उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा पर सपा नेता रामगोपाल ने कहा कि संभल की घटना में प्रशासन सौ फीसदी दोषी है। जिस दिन निष्पक्ष जांच होगी, कई बड़े अधिकारी जेल जाएंगे। आज फिर मैंने संभल मामले पर सदन में नोटिस दिया है।
संभल हिंसा मामले को लेकर भी अदालत पर भड़के थे सपा नेता
इससे पहले राम गोपाल यादव ने संभल हिंसा मामले पर बोलते हुए जजों पर इसी तरह का हमला बोला था। सोमवार को यादव ने शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर हुई हिंसा के लिए स्थानीय जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि उन्होंने इस मुद्दे पर संसद में चर्चा के लिए नोटिस दिया है।
सपा नेता ने कहा था कि अगर जज दूसरे पक्ष को सूचित किए बिना ऐसा फैसला देने लगें तो पूरा देश आग की चपेट में आ जाएगा। उन्होंने आगे दावा किया कि संभल में हुई हिंसा में सिर्फ तीन मौतें बताई जा रही हैं, जबकि वहां इससे कहीं ज़्यादा मौतें हुई थीं।
एक न्यूज एजेंसी से बातचीत करते हुए सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि कई लोग मारे गए हैं, इसके लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है। सर्वेक्षण पहले ही हो चुका था। लेकिन जिला मजिस्ट्रेट सुबह 6 बजे फिर से (विवादित ढांचे के सर्वेक्षण स्थल पर) चले गए। जज ने दूसरे पक्ष को नहीं बुलाया। ऐसा नहीं होता। अगर इस तरह से होगा, इस तरह से जज फैसला करने लगे तो सारे देश में आग लग जाएगी।
अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर अदालत ने जताई सहमति
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के अजमेर की एक अदालत ने अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। हिंदू सेना द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार एक शिव मंदिर है, जिसे अजमेर की एक निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया है।
अजमेर पश्चिम सिविल जज (सीनियर डिवीजन) मनमोहन चंदेल ने हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करने का फैसला किया और मामले की सुनवाई 20 दिसंबर को तय की गई है।
अदालत ने आदेश दिया है कि इस मामले में अजमेर शरीफ दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को समन नोटिस जारी किए जाएं।
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हिंदू सेना ने अदालत में दायर की थी याचिका
सितंबर में हिंदू सेना ने अजमेर सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की थी कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को ‘भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर’ घोषित किया जाए। याचिका में दावा किया गया था कि दरगाह शिव मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी। याचिका में कहा गया था कि यह प्रामाणिक स्रोतों से प्राप्त तथ्यों पर आधारित है और मांग की गई थी कि सूफी दरगाह को परिसर से हटा दिया जाए।