लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज सरदार वल्लभभाई पटेल की 146वीं जयंती के अवसर पर पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर में सरदार वल्लभभाई पटेल की नवस्थापित प्रतिमा का ऑनलाइन लोकार्पण किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर महर्षि वाल्मीकि एवं आचार्य नरेन्द्र देव की जयंती तथा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्यपाल ने अपने ऑनलाइन सम्बोधन में कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल वकील, स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ दृढ़ इच्छाशक्ति वाले महान व्यक्ति थे। लंदन से वकालत करने के पश्चात् सरदार पटेल ने भारत आकर स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। खेड़ा संघर्ष और बारदोली सत्याग्रह के माध्यम से सरदार पटेल जी ने देश के किसानों के लिये महत्वपूर्ण संघर्ष किया। सरदार पटेल के आन्दोलन के चलते अंग्रेजी हुकुमत ने लगान वृद्धि का फैसला वापस लिया। भारत छोड़ो आन्दोलन सहित अन्य प्रमुख आन्दोलनों में भाग लेने के कारण सरदार पटेल को कई बार जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि नीतिगत दृढ़ता के कारण गांधी जी ने सरदार वल्लभभाई पटेल को लौहपुरूष की उपाधि दी थी।
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श्रीमती पटेल ने कहा कि आज हमारा देश एकसूत्र में बंधा हुआ है तो इसका श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को ही जाता है। सरदार पटेल ने आजादी से पूर्व विद्यमान देशी रियासतों का विलय भारत में कराया। उनके इस महान प्रयास के कारण ही आज हम एक बडे़ लोकतांत्रिक देश के रूप में विश्व में पहचान बना पाये हैं। भारत सरकार ने 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गुजरात के वड़ोदरा जिले में दुनिया की सबसे ऊंची 182 मीटर सरदार की प्रतिमा स्थापित कराई है। जिस प्रकार सरदार पटेल की यह प्रतिमा विशाल है, ठीक उसी प्रकार उनका व्यक्तित्व भी बहुत विशाल था। सरदार पटेल की ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ के रूप में स्थापित प्रतिमा हमारी विरासत है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल के विचार आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायी हैं।
राज्यपाल ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल के विचारों से प्रेरणा लेकर हम ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का सपना साकार कर सकते हैं। राज्यपाल ने केन्द्र सरकार द्वारा कृषकों की उन्नति एवं खुशहाली और कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिए बनाये गये तीन नये कानूनों को किसानों की आय दोगुना करने में सहायक बताया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को नये युग के निर्माण की नींव बताते हुए कहा कि यह 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देने में सहायक होगी तथा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। राष्ट्र-व्यापी तथा विस्तृत भागीदारी के कारण यह शिक्षा नीति सही मायनों में राष्ट्रीय अपेक्षाओं और समाधानों को समाहित करती है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में तैयार किया गया पाठ्यक्रम आधुनिक भविष्य के दृष्टिकोण से बेहतर और वैज्ञानिक सोच से परिपूर्ण होगा।
इस अवसर पर राज्यपाल ने ऑनलाइन जुड़े सभी लोगों को राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता की शपथ भी दिलायी। कार्यक्रम में राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव श्री महेश कुमार गुप्ता, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा श्री केयूर सम्पत उपस्थित थे तथा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 निर्मला एस0 मौर्य सहित बड़ी संख्या में शिक्षक तथा छात्र-छात्रायें ऑनलाइन उपस्थित थे।