काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड 12 जुलाई को प्रतिनिधि सभा में बहुमत परीक्षण का सामना करेंगे। कुछ दिन पहले प्रचंड के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से एक प्रमुख राजनीतिक दल ने समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद शुक्रवार को एक अन्य सहयोगी ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया। प्रधानमंत्री ने संसद सचिव को एक पत्र लिखकर बहुमत परीक्षण के लिए मतदान की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है।
प्रधानमंत्री प्रचंड ने शुक्रवार को संसद को संबोधित करते हुए पत्र में उल्लेख किया कि सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगियों में से एक ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है, जिसके बाद वह नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 100 (2) के तहत 12 जुलाई को बहुमत परीक्षण का अनुरोध करते हैं। सरकार का हिस्सा रहे जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) के तीन नेताओं स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्री प्रदीप यादव, वन एवं पर्यावरण मंत्री नवल किशोर साह सुदी और स्वास्थ्य राज्य मंत्री हसीना खान ने शाम को अपने-अपने इस्तीफे दे दिए।
जेएसपी के अध्यक्ष अशोक राय ने प्रधानमंत्री प्रचंड को लिखे पत्र में कहा, हम आपको (प्रधानमंत्री) सूचित करना चाहते हैं कि शुक्रवार को हुई पार्टी की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार आपके नेतृत्व में गठित सरकार को दिया गया समर्थन आज (शुक्रवार) से वापस ले लिया गया है। जेएसपी के संसदीय दल के नेता राय के अलावा पार्टी के प्रतिनिधि सभा (एचओआर) में छह और सदस्य हैं। इससे पहले 69 वर्षीय प्रचंड ने आठ कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफे के बाद भी पद नहीं छोड़ने की घोषणा की थी और कहा था कि वह संसद में विश्वास मत का सामना करेंगे।
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने गठबंधन सरकार बनाने के लिए सोमवार को समझौता किया था। उल्लेखनीय है कि 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के 89 जबकि सीपीएन-यूएमएल के 78 सदस्य हैं। प्रचंड की पार्टी के 32 सांसद हैं।
दस सीट वाली सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट (सीपीएन-यूएस) ने कहा है कि वह प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार के पक्ष में मतदान करेगी। इस समर्थन के बावजूद, प्रचंड को प्रतिनिधि सभा के केवल 63 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 138 वोट की जरूरत होगी। लगभग डेढ़ साल के कार्यकाल में प्रचंड (69) पांचवीं बार बहुमत परीक्षण का सामना करेंगे।