आने वाले समय में लोगों को महंगाई से और राहत मिल सकती है। दरअसल केंद्र सरकार ने सोमवार को फुटकर विक्रेता, थोक विक्रेताओं के भंडारण की सीमा को सीमित कर दिया है।
गेहूं की जमाखोरी को रोकने के लिए और गेंहूं के दाम अधिक ना बढ़ें इसके लिए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। बता दें कि 15 साल में पहली बार सरकार ने गेंहू के भंडारण को लेकर इस तरह का फैसला लिया है।
गेंहू की जमाखोरी की वजह से आटा के दाम में काफी बढ़ोत्तरी होती है, इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। सरकार का यह फैसला मार्च 2024 तक लागू रहेगा जबतक कि बाजार में अगली फसल नहीं आ जाती है।
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले गेंहू और आटा के दाम में बढ़ोत्तरी ना हो इसको ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। दरअसल इस बार मानसून हल्का रहने की संभावना है, जिसकी वजह से उत्पादन कम हो सकता है, लिहाजा सरकार नहीं चाहती है कि आगामी चुनाव के समय महंगाई बढ़े।
फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि मंडी में गेंहू के दाम 8 फीसदी बढ़ गए हैं, पिछले एक महीने में यह बढ़ोत्तरी देखने को मिली है जिसकी वजह से जल्द ही फुटकर में भी इसके दाम बढ़ सकते हैं। कुछ तत्व इसकी जरूरत से ज्यादा जमाखोरी कर रहे हैं, जिसकी वजह से इसकी किल्लत आ सकती है और दाम बढ़ सकते हैं।
देश में पर्याप्त मात्रा में अनाज उपलब्ध है। लेकिन कई ट्रेडर्स ने किसानों से काफी अनाज जमा करके रखा है, वह इंतजार कर रहे हैं कि दाम जब बढ़ेंगे तो वह इसे बेचेंगे। यही वजह है कि भंडारण की सीमा को तय किया गया है, ताकि ऐसा ना हो।
खाद्य मंत्रालय की ओर से जो नोटिफिकेशन जारी किया गया है उसके अनुसार ट्रेडर्स और थोक विक्रेता अधिकतम 10 टन तक भंडारण कर सकते हैं, किसी भी समय वह अधिकतम 3 टन तक गेंहूं खरीद सकते हैं। बड़ी रिटेल चेन भी 10 टन तक अपने हर आउटलेट के लिए ले सकती हैं, जबकि डिपो के लिए 3 टन तक।
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मिल और प्रोसेस करने वाले अपनी वार्षिक क्षमता का 75 फीसदी भंडारण कर सकते हैं। सरकार का यह फैसला सोमवार से ही लागू हो गया है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अगर किसी भी ट्रेडर के पास तय मात्रा से अधिक गेंहू है तो उसे 30 दिन के भीतर इसे तय मात्रा में लाना होगा।