प्रधानमंत्री ने मैसूर विश्वविद्यालय के 100 दीक्षांत समारोह को वर्चुअली सम्बोधित किया
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मैसूर विश्वविद्यालय के 100 दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री छात्र छात्राओं से बोले कोरोना की वजह से रियली नहीं हम वर्चुअली जुड़ रहे हैं। उन्होंने दशहरा उत्सव की बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज बहुत बड़ा दिन है। बता दें कि मैसूर विश्वविद्यालय की स्थापना 1916 में की गई थी। यह देश का छठा और कर्नाटक का पहला विश्वविद्यालय था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मुझे बताया गया है कि आज डिग्री लेने वालों में बेटियों की संख्या बेटों से अधिक है। यह बदलते भारत की तस्वीर है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के हर स्तर पर, देश भर में लड़कों की तुलना में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात अधिक है। उच्च शिक्षा में भी और नवाचार और प्रौद्योगिकी में, लड़कियों की भागीदारी बढ़ी है। चार साल पहले, आईआईटी में लड़कियों के नामांकन का अनुपात आठ प्रतिशत था। इस साल, यह 2.5 गुना ज्यादा बढ़कर 20 प्रतिशत पर पहुंच गया है। नई शिक्षा नीति इन सभी शैक्षिक सुधारों को एक नई दिशा देगी। आज शिक्षा के हर स्तर पर देश में बेटियों के ग्रास एनरोलमेंट रेसियो बेटों से ज्यादा है। उच्च शिक्षा में भी इनोवेशन और टेक्नोलॉजी से जुड़ी पढ़ाई में भी बेटियों की भागीदारी बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण प्रतिबंध हो सकते हैं लेकिन उत्सव के लिए उत्साह अभी भी वही है। भारी बारिश ने इसे थोड़ा नम कर दिया। मैं प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त करता हूं। केंद्र और राज्य राहत देने के प्रयास कर रहे हैं। मैसूर यूनिवर्सिटी, प्राचीन भारत की समृद्ध शिक्षा व्यवस्था और भविष्य के भारत की एस्पिरेशन और कैपेबिलिटिज का प्रमुख केंद्र है। इस यूनिवर्सिटी ने राजर्षि नालवाडी कृष्णराज वडेयार और एम. विश्वेश्वरैया जी के विजन और संकल्पों को साकार किया है। हमारे यहां शिक्षा और दीक्षा, युवा जीवन के दो अहम पड़ाव माने जाते हैं। ये हजारों वर्षों से हमारे यहां एक परंपरा रही है। जब हम दीक्षा की बात करते हैं, तो ये सिर्फ डिग्री प्राप्त करने का ही अवसर नहीं है। आज का ये दिन जीवन के अगले पड़ाव के लिए नए संकल्प लेने की प्रेरणा देता है। हमारे यहां शिक्षा और दीक्षा, युवा जीवन के दो अहम पड़ाव माने जाते हैं। ये हजारों वर्षों से हमारे यहां एक परंपरा रही है।
जब हम दीक्षा की बात करते हैं, तो ये सिर्फ डिग्री प्राप्त करने का ही अवसर नहीं है। आज का ये दिन जीवन के अगले पड़ाव के लिए नए संकल्प लेने की प्रेरणा देता है। मैसूर यूनिवर्सिटी के इस रत्न गर्भा प्रांगण ने ऐसे अनेक साथियों को ऐसे ही कार्यक्रम में दीक्षा लेते हुए देखा है, जिनका राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान रहा है। भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी जैसे अनेक महान व्यक्तियों ने इस शिक्षा संस्थान में अनेकों विद्यार्थियों को प्रेरणा दी। अब आप एक फॉर्मल यूनिवर्सिटी कैंपस से निकलकर, रियल लाइफ यूनिवर्सिटी के विराट कैंपस में जा रहे हैं। ये एक ऐसा कैंपस होगा जहां डिग्री के साथ ही, आपकी एबिलिटी और काम आएगी, जो नॉलेज आपने हासिल की है उसकी एप्लीकेबिलिटी काम आएगी। आजादी के इतने वर्षों के बाद भी साल 2014 से पहले तक देश में 16 आईआईटी थीं। बीते 6 साल में औसतन हर साल एक नई आईआईटी खोली गई है। इसमें से एक कर्नाटका के धारवाड़ में भी खुली है। 2014 तक भारत में 9 आईआईटी थीं। इसके बाद के 5 सालों में 16 आईआईटी बनाई गई हैं। बीते 5-6 साल में 7 नए आईआईएम स्थापित किए गए हैं। जबकि उससे पहले देश में 13 आईआईएम ही थे। इसी तरह करीब 6 दशक तक देश में सिर्फ 7 एम्स देश में सेवाएं दे रहे थे। साल 2014 के बाद इससे दोगुने यानि 15 एम्स देश में या तो स्थापित हो चुके हैं या फिर शुरु होने की प्रक्रिया में हैं। मेडिकल एजुकेशन में भी ट्रांसपेरेंसी की बहुत कमी थी। इसे दूर करने पर भी जोर दिया गया। आज देश में मेडिकल एजुकेशन में पारदर्शिता लाने के लिए नेशनल मेडिकल कमिशन बनाया जा चुका है।