एक तरफ सभी धर्मों का सम्मान करने वाला देश भारत है, जहां हर धर्म को एक साथ लेकर चला जाता है। धर्म पर नफरत का धंधा करने वाले पीएफआई जैसे संगठन हिन्दुस्तान में रहकर हिंदुस्तान के खिलाफ ही साजिश रच रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एक मुल्क ईरान है जहां कट्टरपंथी कानून के खिलाफ क्रांति छिड़ी हुई है। पिछले कई दिनों से ईरान जल रहा है। ईरान की आवाम सड़कों पर उतर चुकी है। बुलंद हौसलों के साथ सड़कों पर उतरकर शरिया कानून वाले ईरान को चैलेंज कर रही है। हिजाब के खिलाफ ईरान में पिछले कुछ दिनों से मुहिम छिड़ी हुई है जो अब हिंसक हो चुकी है। एक मुस्लिम मुल्क में एक कट्टरपंथी कानून के खिलाफ विरोध की मशाल जल रही है।
ईरानी सरकार के इस तानाशाही के खिलाफ ईरान में बड़ी संख्या में महिलाओं ने बिना हिजाब के सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और विरोध में हिजाब को आग के हवाले कर दिया है। तेहरान में महिलाओं के हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए हिजाब को जला दिया। इसके साथ ही महिलाओं ने सिर के बाल भी काटे। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर ईरान के कुछ वीडियो भी सामने आए हैं। जिसमें सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामनेई के पोस्टर भी फाड़े जा रहे हैं और कहीं पर उनमें आग लगाई जा रही है। वहीं कही पर पोस्टरों पर पत्थर मारने के अलावा कालिख भी पोती जा रही है। खामनेई वहीं हैं जिनकी कहीं किसी भी बात को ईरान के लोग सिर झुकाकर मानते आए हैं।
22 साल की महसा अमिनी की मौत से ये महिलाएं गुस्से में हैं। महसा पश्चिमी ईरान में साकेज की रहने वाली थीं। वह परिवार से मिलने 13 सितंबर को तेहरान आई थीं। वह हिजाव के खिलाफ थी, इसलिए उन्होंने उसे नहीं पहना था। पुलिस ने महसा को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के 3 दिन वाद 16 सितंबर को उनकी मौत हो गई। चश्मदीदों ने बताया कि गिरफ्तारी के वक्त महसा पूरी तरह ठीक थी। उन्हें पुलिस की गाड़ी में बेरहमी से पीटा गया।