संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हुआ। नए संदस्यों के शपथ ग्रहण और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को श्रद्धांजलि देने के बाद जैसे ही कार्रवाई शुरू हुई, विपक्ष सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। कुछ सदस्य अग्निवीर योजना को लेकर हंगामा कर रहे थे तो आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल को विदेश यात्रा को अनुमति नहीं देने पर नारेबाजी की। इसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने सदन की कार्रवाई को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
इससे पहले सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले पीएम मोदी संसद भवन पहुंचे और विपक्ष तक अपना संदेश पहुंचाया। पीएम मोदी ने कहा कि मौसम की गर्मी कम नहीं हो रही है, लेकिन सदन के अंदर गर्मी होगी या नहीं पता नहीं। यह सत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अभी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव हो रहे हैं। आज (राष्ट्रपति चुनाव के लिए) वोटिंग हो रही है। इस दौरान नए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति देश का मार्गदर्शन करना शुरू करेंगे। पीएम ने आगे कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है। विपक्ष सकारात्मक रूप से चर्चा में हिस्सा ले। संवाद हो। वाद विवाद भी हो। आलोचना भी हो। मानसून सत्र में कामकाज के महज 14 दिन हैं, जिनमें सरकार की ओर से 32 विधेयक प्रस्तावित है। 14 विधेयकों की सूची जारी की जा चुकी है।
हालांकि यह पहले से साफ था कि विपक्ष हंगामा करेगा। सर्वदलीय बैठक में सत्तापक्ष और विपक्ष के रुख से यह साफ हो गया था। विपक्ष ने महंगाई, अग्निपथ योजना, संघीय ढांचे पर आघात और हेट स्पीच जैसे मुद्दों पर सदन के भीतर चर्चा पर अड़ने का संकेत दिया था। वहीं सरकार का कहना है कि मुद्दे के अभाव में विपक्ष बिना आधार वाले विषय को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिह की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक शुरू होने के तत्काल बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इसमें शामिल नहीं होने को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोल दिया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बाद में ट्वीट कर भी इसके लिए सरकार को घेरा। संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने कांग्रेस की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि 2014 से पहले संप्रग शासन के दौरान प्रधानमंत्री ने कभी सर्वदलीय बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समय-समय पर कुछ देर के लिए बैठक में भाग लेते रहे हैं।
बैठक में कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विपक्ष सदन को सुचारु रूप से चलाने के पक्ष में है, ताकि जनता से जुड़े ज्वलंत मुद्दों को उठाया जा सके। संसदीय प्रणाली में जहां सरकार के विधेयक को पारित करना अहम होता है, वहीं ज्वलंत मुद्दों पर अल्पकालीन चर्चा, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और विशेष उल्लेख जैसे गैर-सरकारी कामकाज भी जरूरी हैं।
प्रल्हाद जोशी ने कहा कि सरकार सभी अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। विपक्ष ऐसे मुद्दे उठाने की कोशिश कर रहा है, जो वास्तव में मुद्दा है ही नहीं। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हो रहे विकास कार्यों ने विपक्ष को मुद्दा विहीन कर दिया है।