महाराष्ट्र में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। शिवसेना के दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे ने बड़ी बगावत कर दी है, जिसके कारण उद्धव ठाकरे सरकार पर संकट मंडरा रहा है। शिवसेना के बागी विधायकों को बुधवार सुबह असम की राजधानी गुवाहाटी लाया गया। बकौल एकनाथ शिंदे, उनके साथ शिवसेना के 40 विधायक मौजूद हैं। इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव के जरिए जनता से बातचीत की और शिवसैनिकों से गद्दारी ना करने की अपील की। वहीं देस शाम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सरकारी आवास वर्षा बंगले को भी खाली कर दिया और सामान समेत मातोश्री शिफ्ट हो गये।
इससे पहले उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव पर जनता को संबोधित करते हुए शिवसैनिकों से भावुक अपील की। उन्होंने कहा कि अगर कोई मुझे मुख्यमंत्री पद पर नहीं देखना चाहता, तो सामने आकर ये बात कहे। मैंने इस्तीफा तैयार रखा है। लेकिन किसी भी मुश्किल परिस्थिति में मैं हार नहीं मानूंगा। उन्होंने एकनाथ शिंदे गुट पर तंज कसते हुए कहा कि पेड़ को जिस कुल्हाड़ी से काटा जाता है, उसमें उसी की लकड़ी लगी होती है। वही स्थिति आज पैदा हुई है। फिलहाल सीएम ठाकरे शरद पवार से मिलकर सरकार बचाने के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
ताजा जानकारी के मुताबिक बागी विधायकों ने एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुन लिया है। शिवसेना विधायक दल का प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें 34 विधायकों के हस्ताक्षर हैं। एकनाथ शिंदे के शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में बने रहने को लेकर 34 विधायकों के हस्ताक्षर वाले शिवसेना विधायक दल के प्रस्ताव को राज्यपाल के पास भेजा गया है। एकनाथ शिंदे 2019 में सर्वसम्मति से शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में चुने गए थे और अब भी वे शिवसेना विधायक दल के नेता बने रहेंगे। भारत गोगावाले को मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है। उधर, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष 4 विधायकों को लेकर सूरत पहुंच गये हैं। यहां से वो गुवाहाटी जाएंगे।
बालासाहेब का नियम याद रखते तो यूं ना फसते उद्धव ठाकरे, सीएम पद बना गले की हड्डी
उद्धव ठाकरे और शिवसेना की ओर से बागी विधायकों को आखिरी संदेश भेजा गया है। इसमें लिखा गया है कि शाम 5 बजे पार्टी विधायकों की बैठक रखी गई है, यदि कोई इसमें शामिल नहीं होता है तो माना जाएगा कि वह पार्टी को तोडऩे की कोशिश कर रहा है और उसकी सदस्यता छीन ली जाएगी। मीटिंग में शामिल होने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का ऑप्शन भी दिया गया है। इसे उद्धव ठाकरे की आखिरी कोशिश माना जा रहा है।