चार राज्यों की 16 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। जिसमें सबसे ज्यादा रोमांचक मुकाबला हरियाणा में हुआ। जहां राज्यसभा की 2सीटों पर वोटिंग हुई। माना जा रहा था कि एक पर कांग्रेस और एक पर भाजपा की जीत पक्की है, लेकिन आखिरी समय पर बड़ा उलटफेर हुआ और कांग्रेस की जगह निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा जीत गए। आइए जानते हैं कौन है वो विधायक जिनकी वजह से हरियाणा में कांग्रेस का पूरा खेल पलट गया।
ऐसे शुरू हुई बगावत
कांग्रेस ने हरियाणा से अजय माकन को मैदान में उतारा था। कांग्रेस को पहले से ही क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा था, इस वजह से पार्टी ने अपने विधायकों को जयपुर के एक रिजॉर्ट में ठहरवाया, लेकिन इसमें एक विधायक नहीं गए, वो थे कुलदीप बिश्नोई। दरअसल बिश्नोई ने हरियाणा पीसीसी चीफ पद के लिए दावेदारी ठोकी थी, लेकिन पार्टी ने उनकी जगह उदयभान को जिम्मेदारी दे दी। जिससे बिश्नोई नाराज हो गए।
पार्टी से निकाला गया
कुलदीप बिश्नोई ने हार नहीं मानी, उन्होंने राहुल गांधी से मुलाकात का समय मांगा, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। जिस कारण उन्होंने बागी तेवर अपना लिए। जब पार्टी अपने विधायकों को एकजुट कर रही थी, तो उन्होंने उनके साथ रिजॉर्ट जाने से इनकार कर दिया। उस दौरान उन्होंने कहा था कि वो अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वोट डालेंगे। कांग्रेस के मुताबिक बिश्नोई ने अगर साथ दिया होता तो कार्तिकेय चुनाव ना जीतते। इसी वजह से उनको पार्टी के निकाल दिया गया है।
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कई बार बदली ‘पार्टी’
22 सितंबर 1968 को जन्मे कुलदीप बिश्नोई पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे हैं। 2005 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीती, लेकिन भजनलाल को सीएम नहीं बनाया। जिससे नाराज होकर उनके बेटे कुलदीप ने 22 दिसंबर 2007 को हरियाणा जनहित कांग्रेस नाम से पार्टी बनाई। 10 साल तक उन्होंने पार्टी को चलाया, लेकिन 2016 में उसका कांग्रेस में विलय कर दिया। विलय से पहले 2011 से लेकर 2014 तक उन्होंने अपनी पार्टी का गठबंधन बीजेपी से किया था।