केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री (Minority Minister) मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) का मोदी सरकार में बने रहने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं. बीजेपी (BJP) ने मुख्तार अब्बास नकवी को फिर से राज्यसभा नहीं भेजा. उसके बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि पार्टी उन्हें रामपुर लोकसभा सीट (Rampur Lok Sabha Byelection) पर होने वाले उपचुनाव में टिकट देगी. लेकिन पार्टी ने इस सीट से घनश्याम लोधी (Ghanshyam Lodhi) को टिकट दे दिया है. जिससे अब नकवी का सरकार (Modi Government) में बाहर जाना तय हो गया है. अटकलें तो ये भी हैं पीएम मोदी अब अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को भी समाप्त कर सकते हैं. मंत्रालय को खत्म करना पीएम मोदी का मास्टरस्ट्रोक हो सकता है.
‘सबका साथ-सबका विकास’ सुपरहिट हुआ
2014 में जब नरेंद्र मोदी ने पहली बार देश की सत्ता संभाली थी, तो उन्होंने ‘सबका साथ-सबका विकास’ का नारा दिया था. प्रधानमंत्री बनने से पहले तक नरेंद्र मोदी की छवि कट्टर हिंदुत्ववादी नेता के रूप में थी. लेकिन पीएम की कुर्सी संभालने के बाद मोदी ने कभी किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया. ‘सबका साथ-सबका विकास’ के तहत मोदी सरकार की सभी योजनाओं का लाभ सबको मिला. यही कारण था कि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने पहले से ज्यादा सीटें हासिल की हैं. दूसरी बार प्रचंड जीत हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री ने ‘सबका साथ-सबका विकास’ के साथ ‘सबका विश्वास’ को भी जोड़ा. पीएम मोदी ने कहना था कि अब उनकी सरकार पर सभी का विश्वास होना चाहिए.
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‘सबका विश्वास’ से खुद मोदी का उठा भरोसा
नरेंद्र मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री जितने भी कड़े निर्णय लिए मुस्लिम समुदाय ने उसका विरोध ही किया. बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों को बाहर करने देशहित में मोदी सरकार NRC लेकर आई. लेकिन इसके विरोध में भारतीय मुसलमान खड़े हो गए. CAA पर भी भारतीय मुसलमानों ने विपक्ष की बातों में आकर खूब हंगामा किया. उन्होंने एक बार भी ये नहीं सोचा कि इससे विदेश में भारत की इज्जत खराब हो रही है. तीन तलाक तो मुसलमान महिलाओं को अधिकार देने के लिए था, लेकिन भारतीय मुसलमानों ने इसका भी विरोध किया. कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने पर भी कुछ मुसलमानों दर्द हुआ. इसीलिए महज 3 साल में खुद पीएम मोदी को ‘सबका विश्वास’ से भरोसा उठ गया.