पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सूबे की सत्ता पर काबिज कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। कांग्रेस विधायक फतेह सिंह बाजवा और बलविंदर सिंह लड्डी ने पार्टी को अलविदा कह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण कर ली। हाल के कुछ महीनों में कांग्रेस के खेमे में जो उठा-पटक और खींचतान मची है, उससे समझा जा रहा कि पंजाब धीरे-धीरे कांग्रेस के पंजे से निकलता जा रहा है।
पंजाब भाजपा के प्रभारी एवं केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने दोनों विधायकों को आज पार्टी की सदस्यता दिलायी। भाजपा में शामिल होने वाले विधायक फतेह सिंह बाजवा कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा के छोटे भाई हैं। फतेह सिंह बाजवा पंजाब की कादियां विधानसभा सीट से विधायक हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में बड़े भाई प्रताप सिंह बाजवा के कादियां सीट से चुनाव लड़ने की अटकलों के मद्देनजर फतेह सिंह ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया।
हालांकि, हाल ही में पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कादियां विधानसभा क्षेत्र में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि उम्मीदवारों की पहली सूची में फतेह सिंह बाजवा का टिकट पक्का है। लेकिन कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा की विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी और फतेह सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद स्पष्ट है कि कादियां विधानसभा सीट पर दो भाइयों के बीच चुनावी जंग देखने को मिलेगी।
दरअसल, फतेह सिंह को यह आशंका थी कि कादियां विधानसभा सीट पर टिकट की लड़ाई में पलड़ा उनके बड़े भाई की ओर झुक जाएगा। ऐसे में उन्होंने भाजपा के दरवाजे पर दस्तक देना मुनासिब समझा।
फतेह सिंह बाजवा के अलावा भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस के दूसरे विधायक बलविंदर सिंह लड्डी हरगोबिंदपुर से विधायक हैं। इनके अलावा शिरोमणि अकाली दल के पूर्व विधायक गुरतेज सिंह यूनाइटेड अकाली दल के पूर्व सांसद राजदेव सिंह खालसा और पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता मधुमीत ने भी भाजपा की सदस्यता ली। पूर्व क्रिकेटर दिनेश मोंगिया ने भी सियासी पिच पर हाथ आजमाने के लिये भाजपा के साथ नई पारी की शुरुआत कर दी।
सूत्रों की माने तो कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं का सिलसिला आने वाले दिनों में अभी और तेज होगा। न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि शिरोमणि अकाली दल के नेता भी अवसर की ताक में हैं।
पंजाब में भाजपा शिरोमणि अकाली दल के सहयोगी की भूमिका में रहती आ रही थी। किंतु, शिरोमणि अकाली दल से नाता टूटने के बाद अब वह सूब में खुद को मजबूत विकल्प के रूप में स्थापित करने में जुटी है। कांग्रेस से अलग होकर पंजाब लोक कांग्रेस का गठन करने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ भाजपा का गठबंधन पहले ही हो गया था।
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बीते सोमवार को पंजाब में भाजपा और कैप्टन अमरिंदर को एक अन्य साथी मिल गया है। शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के सुखदेव सिंह ढींढ़सा ने भी भाजपा और कैप्टन के साथ गठजोड़ कर लिया। ऐसे में एक बात साफ है कि हर बार की अपेक्षा पंजाब विधानसभा चुनाव में दिलचस्प लड़ाई होने जा रही है।