केंद्र सरकार ने 11,000 करोड़ रुपये के रक्षा प्रोजेक्ट को स्वीकृत दी है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत भारत में ही 6 एयरक्राफ्ट तैयार किए जाएंगे, जो किसी भी संकट की स्थिति में देश को पहले ही आगाह कर सकेंगे। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के साथ ही वायुसेना की सर्विलांस की ताकत और बढ़ जाएगी।
वॉर्निंग एयरक्राफ्ट्स के माध्यम से चीन और पाकिस्तान की सीमाओं की निगरानी की जा सकेगी। इन ‘एयरबोर्न अर्ली-वॉर्निंग एंड कंट्रोल’ एयरक्राफ्ट्स को आसमान में भारत की आंख के तौर पर देखा जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मोदी सरकार ने डीआरडीओ के भी उस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जिसके है तहत स्वदेशी राडार बनाए जाने हैं। इन्हें एयरबेस -321 पैसेंजर एयरक्राफ्ट्स में लगाया जाएगा।
इन एयरक्राफ्ट्स को एयर इंडिया की वर्तमान फ्लीट से लिया जाएगा। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में बीते बुधवार को इन प्रस्तावों पर मुहर लगी। कैबिनेट की बैठक में एयरबस-टाटा के उस प्रोजेक्ट को भी स्वीकृति दी गई है जिसके अंतर्गत 21,000 करोड़ रुपये की लागत से मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-295 को बनाया जाना है।
इस परियोजना के तहत कुल 56 एयरक्राफ्ट तैयार किए जाएंगे। ‘एयरबोर्न अर्ली-वॉर्निंग एंड कंट्रोल’ एयरक्राफ्ट्स को सीमाओं पर बढ़ते खतरे की निगरानी के लिहाज से अहम माना जा रहा है। रक्षा मंत्रालय की ओर से इस प्रोजेक्ट को बीते साल दिसंबर में ही स्वीकार कर लिया गया था।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने पिछले एक साल 209 डिफेंस आइटम्स के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस पर 2021 से 2025 के दौरान अमल किया जाएगा और धीरे-धीरे आयात में कमी की जाएगी। एक तरफ केंद्र सरकार ने डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में एफडीआई में बढ़ोतरी कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ स्वदेशी हथियारों के निर्माण पर भी तेजी से ध्यान दिया जा रहा है।