दिल्ली हिंसा मामले के आरोपित और जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र आसिफ इकबाल तान्हा ने कहा है कि जब वह हिरासत में था और उसकी जमानत याचिका लंबित थी, चार्जशीट भी दाखिल नहीं की गई थी लेकिन न्यूज चैनलों के प्राइम टाइम पर उसके डिस्क्लोजर स्टेटमेंट दिखाए जा रहे थे। इसलिए उसके बारे में सूचनाएं लीक करने का एकमात्र जिम्मेदार दिल्ली पुलिस है। इस मामले पर अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को होगी।
दिल्ली पुलिस के वकील एक अक्टूबर को पेश करेंगे दलीलें
आज तान्हा की ओर से वकील विजय अग्रवाल ने अपनी दलीलें खत्म कर लीं। एक अक्टूबर को दिल्ली पुलिस की ओर से अमन लेखी दलीलें रखेंगे। अग्रवाल ने कहा कि जुलाई में जस्टिस विभू बाखरु के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में कोई प्रेस वक्तव्य जारी नहीं किया लेकिन हम दिल्ली पुलिस और दूसरी एजेंसियों की ओर से सूचनाएं लीक करने पर आंखें नहीं मूंद सकते हैं।
अग्रवाल ने कहा कि 18 अगस्त 2020 को जब तान्हा की जमानत याचिका लंबित थी तो उस दिन प्राइम टाइम पर न्यूज चैनल उसका डिस्क्लोजर स्टेटमेंट दिखा रहे थे। वे ये कह रहे थे कि तान्हा ने क्या-क्या कबूल किया। 18 अगस्त 2020 तक दिल्ली पुलिस ने कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की थी। ऐसे में सूचनाएं लीक करने के लिए केवल दिल्ली पुलिस ही जिम्मेदार है। अग्रवाल ने कहा कि 19 अगस्त 2020 को उन्होंने डीसीपी से शिकायत की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा कि हमें आश्चर्य है कि दिल्ली पुलिस इसकी जांच का विरोध क्यों कर रही है। वह भी तब जब उसकी खुद की चीजें गुम हुई हैं। दिल्ली पुलिस की रुख संदेह के घेरे में है।
दिल्ली पुलिस ने 5 अगस्त को कोर्ट को बताया था कि उसने सूचना लीक करने के बारे में कई पत्रकारों से पूछताछ की है। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि किसी भी पत्रकार ने अपने स्रोत के बारे में कुछ बताने से इनकार कर दिया। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि जांच के दौरान जांच अधिकारी को ये पता नहीं चल सका कि जांच से संबंधित सूचनाएं मीडिया के पास कैसे पहुंचीं। तब कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि आप इस संबंध में जो भी कहना चाहते हैं वह लिखित में दाखिल करें। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि आप इसकी जांच करना चाहते हैं कि नहीं ये भी बताएं।
पिछले 5 मार्च को हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा था कि तान्हा के बारे में सूचनाएं लीक करने का मामला अब केवल आरोप नहीं हैं। मीडिया में छपने के बाद ये आरोप स्थापित हो चुके हैं। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा था कि अगर वे चाहते हैं तो उनका पक्ष सुनने के लिए तैयार हैं। तब दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अमित महाजन ने कहा था कि सूचनाएं लीक करने का आरोप उनके ऊपर नहीं मढ़ा जा सकता है। उसके बाद कोर्ट ने आरोपित तान्हा को निर्देश दिया था कि वह अपने आरोप से संबंधित अतिरिक्त हलफनामा दायर करें।
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दिल्ली पुलिस के मुताबिक तान्हा स्टूडेंट इस्लामिक आर्गनाइजेशन का सदस्य है और शाहीन बाग के अबुल फजल एंक्लेव में रहता है। वह जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी का एक अहम सदस्य है, जिसके जरिए नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा दिया गया था। दिल्ली पुलिस के मुताबिक तान्हा उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर और सफूरा जरगर का निकट सहयोगी है। तान्हा फिलहाल जमानत पर है।