कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा-दिल्ली सीमा पर सटे सिंघु सीमा पर जारी किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के दर पर जाने की सलाह भी दी है। उधर किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसान जहां मौजूद हैं, वहीं डंटे रहेंगे।

सिंघु सीमा पर जारी किसान आंदोलन में भारी संख्या में प्रदर्शनकारी मौजूद हैं और मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया है। इसी वजह से आम लोगों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। इन्ही मुसीबतों की गुहार लगाते हुए सोनीपत के निवासियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि यहां उनको निशाना हाथ लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा।
इस याचिका में सोनीपत के निवासियों ने सिंघु बॉर्डर इलाके को प्रदर्शनकारियों द्वारा अवरुद्ध किए जाने पर चिंता जताई है और प्रदर्शनकारियों को उस जगह से हटाने की मांग की है। याचिका दायर करने वाले लोगों का कहना है कि, प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा रास्ते अवरुद्ध किए जाने के कारण स्थानीय लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए, प्रदर्शनकारी इस इलाके में बंद न लगाएं।
उधर, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर हुंकार भरी है। गाज़ियाबाद में उन्होंने कहा कि जब तक 3 कृषि कानूनों की वापसी नहीं होगी, तब तक किसान ना ही धरना स्थल छोड़ेंगे और ना ही आंदोलन छोड़ेंगे। टिकैत ने केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान के बयान कहा कि, हमें राजनीति में नहीं आना है। वो हमारे मुद्दों का हल निकालें और हमारी बात सरकार से करवा दें। आपको बता दें संजीव बाल्यान ने कहा था कि अगर किसान राजनीति में आना चाहते हैं तो वो उनका स्वागत करेंगे।
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