सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में डीजे बजाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक हटा दी है। जस्टिस विनीत सरन और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने उत्तर प्रदेश के डीजे संचालकों को राहत देते हुए यह भी कहा है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहले से दिए गए निर्देशों का पालन हो।
हाईकोर्ट ने लगाई थी डीजे बजाने पर रोक
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से बनाए गए नियमों के मुताबिक ही लाइसेंस लेकर डीजे बजाए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस याचिका पर यह आदेश जारी हुआ उसमें यह मांग नहीं की गई थी। सिर्फ एक इलाके में शोर से राहत मांगी गई थी। हाई कोर्ट ने बिना प्रभावित पक्ष को सुने व्यापक आदेश दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने माना की हाई कोर्ट का आदेश आजीविका कमाने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
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हाईकोर्ट ने वर्ष 2019 में पूरे राज्य में डीजे पर प्रतिबंध लगा दिया था। हाईकोर्ट ने प्रयागराज के हाशिमपुर इलाके के सुशील चंद्र श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए ध्वनि प्रदूषण को लेकर ये आदेश दिया था। याचिकाकर्ता ने कांवड़ यात्रा के दौरान अपने घर के पास लगाए गए एक एलसीडी का मसला कोर्ट में रखा था। उन्होंने कहा था कि सुबह चार से 12 बजे रात तक वह बजता रहता है जिससे उनकी 85 साल की मां परेशान हो जाती हैं।