उत्तर प्रदेश नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने कई आरोपियों के खिलाफ नोटिस जारी की थी। सुप्रीम कोर्ट में नुकसान की वसूली के लिए योगी सरकार द्वारा जारी की गई इन्ही नोटिस को अवैध बताते हुए याचिका दायर की गई है। शुक्रवार को इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 23 जुलाई तक के टाल दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार के खिलाफ दायर की गई थी याचिका
दरअसल, परवेज़ आरिफ टीटू नाम के याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर योगी सरकार पर आरोप लगाया था कि यूपी में अल्पसंख्यकों को परेशान करने के मकसद से नुकसान की भरपाई के नोटिस भेजे जा रहे हैं। याचिकाकर्ता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले के मुताबिक, इस तरह के मामलों में नुकसान के आकलन और भरपाई का आदेश हाईकोर्ट या किसी न्यायिक संस्था की तरफ से आना चाहिए था। लेकिन यूपी में जिला प्रशासन ने लोगों को नोटिस भेजे हैं। यह नोटिस इसलिए भी अवैध हैं क्योंकि राज्य में इसे लेकर कोई कानून नहीं है।
याचिकाकर्ता की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार द्वारा तोड़फोड़ करने वालों से की जा रही वसूली को तो सही बताया था लेकिन योगी सरकार से इस वसूली का कानूनी आधार पूछा था। शीर्षतम अदालत में डेढ़ साल बाद आज फिर इस मामले की सुनवाई हुई।
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की बेंच को याचिकाकर्ता की तरफ से जानकारी दी गई कि उनकी मुख्य वकील नीलोफर खान व्यक्तिगत कारणों से पेश होने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए सुनवाई टाल दी जाए।
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इस पर जजों ने जानना चाहा कि यूपी सरकार के लिए कौन पेश हुआ है। राज्य की एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने बेंच को बताया कि इस मामले पर ज़रूरी कानून बनाया जा चुका है। कानून को नोटिफाई कर दिया गया है। उसके आधार पर क्लेम ट्रिब्यूनल भी बनाए जा चुके हैं। बेंच ने उनसे कहा कि वह मौखिक तौर पर रखी गई इस जानकारी को लिखित हलफनामे के रूप में जमा करवाएं। सुनवाई 23 जुलाई को की जाएगी।