बीते दिनों उत्तर प्रदेश के नोएडा जिले से पकड़े गए धर्मांतरण कराने के आरोपी मौलाना उमर गौतम तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मौलाना उमर गौतम की उस याचिका को ठुकरा दिया है, जिसमें आरोपी ने मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की गुहार लगाते हुए हाईकोर्ट में दाखिल किया था। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उमर गौतम की याचिका खारिज करने के साथ ही यूपी पुलिस को भी क्लीन चिट दे दी है।
हाईकोर्ट ने खारिज की उमर गौतम की याचिका
उमर गौतम की याचिका पर टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मीडिया को रिपोर्टिंग का अधिकार है। मीडिया को बिना किसी ठोस आधार के किसी मामले में रिपोर्टिंग करने से रोका नहीं जा सकता।
इसके अलावा यूपी पुलिस को क्लीन चिट देते हुए हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यूपी पुलिस के प्रेस नोट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था। 20 जून को जारी प्रेस नोट में कोई गोपनीय व आपत्तिजनक जानकारी नहीं थी, सिर्फ गिरफ्तारी की सूचना और उसके आधार के बारे में ही जानकारी दी गई थी। उमर गौतम की अर्जी पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 2 जुलाई को अपना जजमेंट रिजर्व किया था। जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस विकास श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया है।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चंद्रचूड़ के फैसले के तहत भी ऐसे मामलों में सीधे दखल नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने उमर गौतम के वकीलों से पूछा था, मीडिया को क्यों रिपोर्टिंग करने से रोका जाए?
मौलाना उमर गौतम ने मीडिया में अपने खिलाफ चल रही ख़बरों पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। उमर गौतम का आरोप था कि मीडिया गलत रिपोर्टिंग कर रहा है। कोर्ट का कोई फैसला आए बिना उसका मीडिया ट्रायल किया जा रहा है। उसने मीडिया पर सरकार के दबाव में गलत रिपोर्टिंग करते हुए बदनाम करने का भी आरोप लगाया था।
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उमर गौतम का आरोप था कि रिपोर्टिंग के नाम पर मीडिया उसके केस से जुडी गोपनीय जानकारियां लीक कर रहा है। साथ ही मीडिया पर जांच को प्रभावित करने का भी आरोप लगाया था। बता दें कि मीडिया रिपोर्टिंग पर पाबंदी लगाए जाने की मांग के बहाने उमर गौतम ने कानूनी पैंतरा खेला था। सरकार और पुलिस पर भी गलत जानकारी का प्रेस नोट जारी करने का आरोप लगाया था। उमर गौतम पर सैकड़ों लोगों के धर्मांतरण का आरोप है।