नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने मंगलवार को लस्कर-ए-तैयबा से जुड़े तीन आतंकियों को 10 साल तक कठोर कारावास की सजा सुनाई है। एनआईए की विशेष अदालत के न्यायाधीश डी.ई.कोथालीकर ने दो आरोपितों को सबूत के अभाव में रिहा करने का आदेश जारी किया है। इन पांचों को वर्ष 2012 में नांदेड़ से गिरफ्तार किया गया था। इन पांचों पर हिन्दू नेताओं और पत्रकारों की हत्या की साजिश रचने का आरोप का था।

आतंकियों को एनआईए ने किया था गिरफ्तार
एनआईए की विशेष अदालत ने मंगलवार को आतंकी मोहम्मद अकरम, मोहम्मद मुजम्मिल और मोहम्मद सादिक को यूएपीए और आर्मस एक्ट का दोषी करार करते हुए 10 साल की कठोर कारावास और 05 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है, जबकि मोहम्मद इरफान और मोहम्मद इलियास को सबूत के अभाव में रिहा करने का आदेश जारी किया है।
एनआईए सूत्रों के अनुसार इस मामले में आरोपित अकरम नौकरी की तलाश में साऊदी अरेबिया गया था। वहां उसकी पहचान लस्कर-ए-तैयबा के सिद्दिक बिन उस्मान उर्फ अबू हंजाला से हुई थी। जांच में पता चला कि अकरम ने इन लोगों के साथ मिलकर भारत में कई हिन्दू नेताओं और पत्रकारों की हत्या की साजिश रची थी।
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इसकी भनक लगते ने महाराष्ट्र एंटी टेरोरिज्म स्कॉड(एटीएस) ने सभी पांचों आरोपितों को वर्ष 2012 में गिरफ्तार किया था। इसके बाद यह मामला एनआईए को स्थानांतरित कर दिया गया था। एनआईए इस मामले में अन्य फरार आतंकियों की सरगर्मी से तलाश कर रही है।
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