पश्चिम बंगाल सरकार के लिए नारदा घोटाला मामला एक मुसीबात बनता जा रहा है। दरअसल, इस मामले में तृणमूल कांग्रेस को राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है। कोलकाता हाईकोर्ट ने अपने फैसले में तृणमूल कांग्रेस के चारों नेताओं को हाउस अरेस्ट रहने का आदेश दिया है। यह फैसला कोलकाता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ ने सुनाया है।

हालांकि नारदा स्टिंग मामले में सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की यह बेंच फैसला सुनाने को लेकर बंटी हुई दिखाई दी। अरिजीत बनर्जी टीएमसी नेता सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा, फिरहाद हकीम और पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी का जमानत देने के लिए सहमत थे। लेकिन कार्यवाहक मुख्या न्यायाधीश राजेश बिंदल इसके खिलाफ थे।
आपस में सहमती न होने के कारण इस मामले में अब बड़ी पीठ सुनवाई करेगी। तब तक के लिए टीएमसी के नेताओं को नजरबंद रहने का आदेश दिया गया है। हालांकि इस दौरान वो कार्यालय से संबंधित काम कर सकते हैं। इससे पहले कोलकाता हाईकोर्ट ने सोमवार रात को जमानत पर रोक लगा दी थी।
आपको बता दें कि चारों नेताओं को सीबीआई ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में गिरफ्तार किया था और उनके खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किए थे। खंडपीठ ने बुधवार को सुनवाई को एक दिन के लिए टाल दिया था।
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ये है नारदा घोटाले का मामला
दरअसल, साल 2016 में बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग टेप सार्वजनिक किए गए थे। ऐसा दावा किया गया था कि ये टेप साल 2014 में रिकॉर्ड किए गए थे। इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले वयक्तियों को कथित रूप से एक काल्पनिक कंपनी के प्रतिनिधियों से कैश लेते दिखाया गया था। यह स्टिंग ऑपरेशन नारदा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने किया था। साल 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन टेप की जांच का आदेश सीबीआई को दिया था।
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