नई जिम्मेदारी मिलते ही आक्रामक हुए शुभेंदु अधिकारी, नए अंदाज में किया नया हमला

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी को नंदीग्राम जीत से हराने वाले शुभेंदु अधिकारी को बीजेपी ने विपक्ष का नेता चुना है। खुद को मिली इस नई जिम्मेदारी के बाद शुभेंदु ने तृणमूल कांग्रेस पर नए अंदाज में हमला बोला है। दरअसल, शुभेंदु अधिकारी ने एक समाचार पत्र के लिए एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने अपनी भविष्य की रणनीति की रूपरेखा बयां कीं है।

शुभेंदु अधिकारी ने एक समाचार पत्र में लिखा लेख

इस लेख में शुभेंदु अधिकारी ने बंगाल में हुई हिंसक घटनाओं का जिक्र करते हुए इसका ठीकरा तृणमूल कांग्रेस पर फोड़ा है। साथ ही उन्होंने इसे जनादेश का अपमान करार दिया है। अपने इस लखे के माध्यम से शुभेंदु ने कहा कि राज्य ने हाल ही में रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती मनाई है, जिन्होंने कहा था, ‘चित्त जहाँ भयशून्य, उच्च मस्तक नित रहता’, लेकिन आज के बंगाल में लोगों का मन स्वतंत्र नहीं है और वर्तमान स्थिति को देखते हुए सिर भी शर्म से झुका हुआ है।

उन्होंने तृणमूल कार्यकर्ताओं द्वारा की गई हिंसा की आलोचना करते हुए लिखा कि एक वर्तमान केंद्रीय मंत्री पर उन गुंडों द्वारा हमला किया गया जिनका संबंध सत्ताधारी पार्टी से था। ये अकेली ऐसी घटना नहीं थी। पूरे राज्य में हिंसा अबाध गति से जारी रही। शुभेंदु ने लिखा है कि टीएमसी ने जनादेश का अपमान करते हुए राज्य भर में आंतक फैलाया और लोकतंत्र की संस्कृति को नष्ट करने का हरसंभव प्रयास किया गया।

शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल के लोगों ने तृणमूल को शासन करने के लिए स्पष्ट जनादेश दिया था, न कि राज्य भर में आतंक फैलाने के लिए नहीं। सरकार के स्तर पर बहुत कुछ किया जाना है। कोविड को नियंत्रण में लाना है। लेकिन शीर्ष नेतृत्व समर्थित टीएमसी कैडर राज्य में लोकतंत्र की संस्कृति को नष्ट करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अपनी रैलियों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री इतनी व्यस्त थीं कि उन्हें प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में आयोजित कोविड की बैठकों में शामिल होना समझदारी नहीं लगी।

शुभेंदु ने कहा कि 2 मई को नतीजे आने के बाद तृणमूल कैडरों को बंगाल में राजनीतिक विरोधियों को भयभीत करने के स्पष्ट निर्देश मिले थे। उन्होंने इस निर्देश का अक्षरश: पालन किया। उन्होंने लिखा है, “हमारी पार्टी (बीजेपी) के दर्जनों कार्यकर्ता मारे गए हैं, हजारों अपने घरों से भागने को मजबूर हुए। किसी को भी नहीं बख्शा गया। महिलाएँ, बच्चे, किसान, गरीब या युवा। तृणमूल ने हमारे संविधान के हर सिद्धांत का उल्लंघन किया है।

शुभेंदु ने लिखा है कि टीएमसी कैडरों ने उस कॉन्ग्रेस और लेफ्ट के ऑफिसों को भी नहीं बख्शा, जिसने बीजेपी को हराने के लिए टीएमसी की मदद करने का हरसंभव प्रयास किया था, भले ही इसके चक्कर में उनका खुद का आँकड़ा शून्य पर पहुँच गया।

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शुभेंदु ने लिखा कि नंदीग्राम ने तृणमूल को इतना प्यार दिया। अगर नंदीग्राम आंदोलन न होता तो 2011 में टीएमसी की जीत कभी नहीं होती। लेकिन जब नंदीग्राम ने इस बार टीएमसी को नकार दिया तो पार्टी के कार्यकर्ता यहाँ के लोगों से बदला ले रहे हैं। चुने हुए प्रतिनिधियों पर हमले किए जा रहे हैं।