पश्चिम बंगाल में हो रहे विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने तीखे और विवादित बयान देने से गुरेज नहीं कर रही हैं। ऐसे ही एक बयान के खिलाफ सख्त तेवर अपनाने हुए चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी को बीते दिनों नोटिस भी थमाई थी। अभी ममता ने इस नोटिस का जवाब दिया भी नहीं है कि अब उनके एक और बयान ने उनके खिलाफ मुसीबत की दीवार खड़ी कर दी है।
ममता पर पड़ा सवालों का बोझ
दरअसल, बीते दिनों ममता बनर्जी ने एक जनसभा के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों (सीआरपीएफ) पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मदद करने और वोटरों को मतदान करने से रोकने का आरोप लगाया था। ममता के इस बयान को लेकर चुनाव आयोग सख्त नजर आ रहा है। आयोग ने ममता के खिलाफ एक नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
चुनाव आयोग ने यह नोटिस बीते गुरूवार को भेजा। इस नोटिस में ममता के उन बयानों का जिक्र किया गया है जिसमें उन्होंने केंद्रीय सुरक्षा बलों की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाई थी। तृणमूल के एक प्रतिनिधिमंडल ने 21 फरवरी को बांग्लादेश बॉर्डर की सुरक्षा में तैनात बीएसएफ पर एक पार्टी के पक्ष में ग्रामीणों को धमकाने का आरोप लगाया था।
ममता को भेजे गए नोटिस में बीएसएफ पर लगे आरोपों पर पर चुनाव आयोग ने कहा है कि बीएसएफ पर आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है, बीएसएफ देश ही बेहतरीन फोर्स में से एक है, बीएसएफ पर सवाल उठाना गलत है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने नोटिस में ममता के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें वो कह रही हैं कि वोटरों को मतदान करने से सीआरपीएफ रोक रही है।
चुनाव आयोग का कहना कि सीआरपीएफ समेत सभी अर्द्धसैनिकों बलों की चुनाव कराने में अहम भूमिका है, वह कानून व्यवस्था से लेकर निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराते हैं। आयोग ने कहा कि ममता बनर्जी का आरोप दुर्भाग्यपूर्ण है, इससे न केवल चुनाव के दौरान, बल्कि चुनाव के बाद भी केंद्रीय सुरक्षा बलों पर सवाल उठेंगे।
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चुनाव आयोग का कहना है कि ममता का बयान चुनाव आचार संहिता के साथ ही आईपीसी की धारा 186, 189 और 505 का उल्लंघन है। ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग ने 10 अप्रैल को दिन में 11 बजे तक जवाब मांगा हैं। आयोग का कहना है कि अगर ममता बनर्जी जवाब नहीं देती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।