इस वजह से अनुपम खेर को 29 साल की उम्र में निभाना पड़ा था बुजुर्ग का किरदार

अपने शानदार अभिनय प्रतिभा से फिल्म जगत में अपनी अलग पहचान रखने वाले अनुपम खेर  07 मार्च, 1955 को शिमला में हुआ था। एक साधारण परिवार में पले-बढ़े अनुपम को बचपन से ही अभिनय का शौक था।उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पढ़ाई पूरी की और उसके बाद अभिनेता बनने का सपना लिए मुंबई आ गए। यहां उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

साल 1982 में अनुपम की मेहनत रंग लाई और मुजफ्फर अली द्वारा निर्देशित फिल्म ‘आगमन’ में उन्हें अभिनय करने का मौका मिला। इसके बाद साल 1984 में महेश भट्ट की फिल्म ‘सारांश’ अनुपम के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म में 29 साल के अनुपम ने एक रिटायर्ड बुजुर्ग व्यक्ति का किरदार निभाया था। फिल्म में उनके अभिनय को काफी पसंद किया गया। इसके साथ ही इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मिला। इस फिल्म के बाद अनुपम का फिल्मी करियर चल पड़ा और उन्हें लगातार एक के बाद एक कई फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिला। लेकिन अभिनेता को ज्यादातर एक बुजुर्ग का किरदार निभाना पड़ा, उसकी वजह थी उनका गंजापन….

अनुपम ने अब तक लगभग 400 से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया है। उन्होंने अपने संघर्ष और दमदार अभिनय की बदौलत फिल्म जगत में एक खास मकाम हासिल किया। अपने फिल्मी करियर में अनुपम ने हर तरह के किरदार को बखूबी निभाया। फिल्म जगत में उन्हे ‘ड्रामा ऑफ स्कूल’ के नाम भी जाना जाता हैं। उन्होने बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक में अपने शानदार अभिनय का लोहा मनवाया। अनुपम की प्रमुख फिल्मों में उत्सव, आखिरी रास्ता, कर्मा, राम लखन, चालबाज, डर, लाडला, हम आपके हैं कौन, दिलवाले दुलहनिया ले जायेंगे, ए फेमिली मैन, द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर आदि शामिल हैं। फिल्मों में अभिनय के अलावा अनुपम ने कई टीवी शोज भी होस्ट किये हैं ,जिसमें सवाल दस करोड़ का ,द अनुपम खेर शो-कुछ भी हो सकता है, भारतवर्ष आदि शामिल हैं।

इन सब के अलावा अनुपम फिल्म ‘मैंने गांधी को नहीं मारा’ और ‘तेरे संग’ के निर्माता और फिल्म ‘ओम जय जगदीश’ के निर्देशक भी रहे हैं। अनुपम खेर की पहली शादी मधुमालती से हुई थे,लेकिन जल्द ही उनका तलाक हो गया। इसके बाद अनुपम ने साल 1985 में अभिनेत्री किरण  खेर से शादी कर ली। वह फिल्म जगत में अब भी सक्रिय हैं।फिल्मों में उनके सराहनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें साल 2004 में पद्मश्री और साल 2016 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया।अभिनय के अलावा अनुपम खेर लेखन के क्षेत्र में भी सक्रीय है। उन्होंने द बेस्ट थिंग अबाउट यू इज यू और योर बेस्ट डे इज टुडे लिखी हैं।

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अनुपम सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं।  दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुके अनुपम खेर के चाहनेवालों की संख्या लाखों में हैं।