गुरुग्राम। विश्व हिंदू परिषद के अखिल भारतीय संगठन महामंत्री विनायक राव देश पांडे ने कहा कि विनायक राव देशपांडे ने कहा कि कोई भी देश गुलामी का चिन्ह सहन नहीं कर सकता। बाबरी ढांचा गुलामी का प्रतीक था और भगवान श्रीराम मंदिर स्वाभिमान का प्रतीक है।
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मंदिर निर्माण से देश में नई सात्विक ऊर्जा का संचार हो रहा है। यह बात उन्होंने मानेसर में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित श्रीराम मंदिर निर्माण निधि समर्पण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर 94 वर्षीय नंदकौर ने 1,11,000 रुपये का दान दिया।
विनायक राव देशपांडे ने आगे कहा कि हिन्दू हार मानने वाला समाज नहीं है। सतत संघर्ष ही हमारा इतिहास रहा है। अयोध्या धाम में भगवान राम की जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण इसी का संघर्ष प्रतिफल है। राम मंदिर से राष्ट्र मंदिर का मार्ग प्रशस्त होगा।
श्री पांडे ने दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि आज भी कुछ लोग बाबर का गुणगान करते है, ऐसी मानसिकता के लोग राष्ट्रनिष्ठ नहीं हो सकते हैं। उनके अनुसार आजादी के बाद भारत का गौरवशाली इतिहास पढ़ाया नहीं गया। कम्युनिस्ट विचारधारा ने भारत के गौरवशाली इतिहास को विकृत करने का काम किया।
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार सत्ता के मद में रही। वामपंथियों ने भारत की सनातन शिक्षा प्रणाली को बदलने का काम किया, ताकि देश की युवा पीढ़ी अपने स्वर्णिम अतीत का दर्शन न कर सकें।
उन्होंने कहा कि पिछले एक हजार साल से हिन्दू ने जितना पराक्रम किया है, उतना दुनिया में किसी भी देश ने नहीं किया। राम मंदिर के लिए भी 76 लड़ाइयां लड़ी हैं। 4 लाख राम भक्तों ने अपना बलिदान दिया है। सतत संघर्ष व बलिदान के परिणाम स्वरूप आज रामलला की जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण हो रहा है।
श्री पांडे ने बताया कि 39 महीने में यह कार्य पूरा हो जाएगा। इसके लिए साढ़े तेरह करोड़ परिवारों व 70 करोड़ लोगों से सम्पर्क करने का लक्ष्य रखा गया है। उनके अनुसार अभी तक 4 लाख गांव तक रामभक्तों ने सम्पर्क कर लिया है। 10 करोड़ परिवारों से संपर्क भी हो चुका है। उन्होंने शेष अवधि में लक्ष्य को पूरा करने का आह्वान भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्वामी पूर्णानंद ने कहा कि धर्म के लिए कार्य करना ही मानव का सबसे बड़ा कर्तव्य है।