देश के सबसे बड़ी न्याय के मंदिर सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें बीजेपी ने बृहन्नमुम्बई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन यानी बीएमसी के नेता विपक्ष पद कांग्रेस के पास होने पर ऐतराज जताया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए इस फैसले को कांग्रेस के लिए राहत के रूप में देखा जा रहा है।
बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट से की थी मांग
दरअसल, बीजेपी पार्षद प्रभाकर शिंदे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने मांग की थी कि कांग्रेस राज्य सरकार में शिवसेना की सहयोगी है। इसलिए बीएमसी में कांग्रेस के पास नेता विपक्ष का पद नहीं रह सकता।
वर्ष 2017 में हुए बीएमसी चुनाव के समय बीजेपी और शिवसेना एक दुसरे के सहयोगी दल थे। इसी वजह से जब बीएमसी चुनाव में शिवसेना को सत्ता हासिल हुई, तब बीजेपी ने विपक्ष का दवा पेश नहीं किया था, और 31 सीटों वाली कांग्रेस को मुख्य विपक्षी पार्टी का पद हासिल हो गया। लेकिन अब जब बीजेपी का साथ छोडकर शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सत्ता पर आसीन है, तब बीएमसी चुनाव में 82 सीटें हासिल करने वाली बीजेपी विपक्ष का पद चाहती है।
इस बाबत बीजेपी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी, लेकिन वहां भी याचिका खारिज कर दी गई थी। हाई कोर्ट ने माना था कि एक बार पद पर दावा छोड़ने के बाद अब बीजेपी का दावा सही नहीं माना जा सकता।
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इस याचिका पर सुनवाई मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने की। सुनवाई के दौरान बीजेपी पार्षद के वकील मुकुल रोहतगी ने दलील देते हुए कहा था कि हाई कोर्ट ने मौजूदा स्थिति को समझे बिना उनकी याचिका ठुकरा दी। रोहतगी की शुरुआती दलीलों को सुनने के बाद 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर विचार की बात कही थी। लेकिन आज हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए शिंदे की याचिका खारिज कर दी।