नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के साथ एक वर्चुअल समारोह में मंगलवार को कहा कि भारत पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान के विकास में सबसे प्रमुख भागीदारों में से एक रहा है। उन्होंने अफगान नागरिकों को भरोसा दिलाया कि भारत हर वक्त देश के साथ खड़ा है। कोई भी बाहरी शक्ति दोनों देशों की दोस्ती में बाधा नहीं डाल सकती या अफगानिस्तान की विकास यात्रा को प्रभावित नहीं कर सकती।
यह भी पढ़ें: पूर्व विधायक अजय राय पहुंचे प्रयागराज, मुख्तार अंसारी के खिलाफ देंगे गवाही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच मंगलवार को आयोजित शिखर सम्मेलन में काबुल में बनने जा रहे शहतूत बांध से संबंधित समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। 28.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर की लागत से बन रहे शहतूत बांध का भारत निर्माण करेगा। इससे काबुल के लोगों को खेती और पीने के लिए पानी उपलब्ध होगा।
वर्चुअल सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की ओर से अफगानिस्तान में चल रही सहायता परियोजनाओं से दोनों देशों की मित्रता और मजबूत हुई है। काबुल में बनने जा रहा शहतूत बांध इसी क्रम का हिस्सा है। भारत हमेशा अफगानिस्तान के नेतृत्व और नियंत्रण वाली शांति प्रक्रिया का समर्थक रहा है। भारत मानता है कि अफगानिस्तान के लोगों को एकजुट करना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि वह किसी भी समस्या से मजबूती से लड़ सकें।
इस दौरान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भारत का शुक्रिया अदा किया और क्षेत्र में शांति और स्थायित्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को दुनिया में उजागर करने की जरूरत है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने भारत को कोरोना वैक्सीन देने के लिए भी धन्यवाद दिया।