राज्यसभा में नए कृषि कानूनों का बचाव करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ये कानून इसलिए बनाए गए ताकि किसानों की प्रगति और उत्थान हो सके। उन्होंने कहा कि देश को राजनीतिक आजादी करीब 70 साल पहले मिली थी लेकिन किसानों को वास्तविक आजादी नहीं मिल सकी। नए कृषि कानून से अब किसानों को आजादी मिल सकेगी और वे अपनी फसल एवं उत्पाद देश के किसी कोने में बेच सकेंगे। उन्होंने कहा कि देश के लिए किसान रीढ़ की हड्डी हैं।
सिंधिया ने किसानों को बताया रीढ़ की हड्डी
सिंधिया ने गुरुवार को सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि किसान देश के लिए रीढ़ की हड्डी और अन्नदाता हैं। वे अपना ही नहीं बल्कि पूरे विश्व का पेट भरते हैं। उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ 11 दौर की वार्ता की और तीनों नए कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित करने का भी प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।
सिंधिया ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्षी दल ने वर्ष 2019 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में कृषि सुधारों का वादा किया था। जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने वर्ष 2010-11 में कृषि मंत्री रहते हुए हर राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी अनिवार्य बनाने संबंधी बात कही थी।
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भाजपा नेता सिंधिया ने कांग्रेस पर हमले को धार देते हुए कहा कि जुबान बदलने की आदत बदलनी होगी। जो कहें उस पर अडिग रहें। यही अच्छा है।