राज्यसभा में मंगलवार को विपक्षी दलों के सदस्यों ने कृषि सुधार कानून और किसानों के आंदोलन को लेकर जोरदार हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित होने के बाद बुधवार सुबह नौ बजे तक लिए स्थगित कर दी गई।
उच्च सदन की बैठक मंगलवार को शुरू होते ही विपक्षी दलों के सदस्यों ने शून्यकाल और प्रश्नकाल के दौरान किसानों के आंदोलन के मुद्दे को उठाया, जिसके कारण पहली बार सदन की कार्यवाही 10.30 बजे और दुबारा कार्यवाही शुरू होने पर 11.30 बजे तक के लिए स्थगित की गई। विपक्षी दलों के सदस्य इस दौरान आसन के समीप पहुंच गए और जमकर नारेबाजी की। पहली बार सभापति एम. वेंकैया नायडू और दूसरी बार उप-सभापति हरिवंश ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। हंगामे के दौरान सदस्यों से बारबार अपनी सीट पर जाने का अनुरोध किया गया और बुधवार को किसानों के मुद्दे को उठाने का आग्रह किया गया किंतु सदस्यों के हंगामे के कारण बैठक 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
उपसभापति हरिवंश ने 12.30 बजे बैठक शुरू होने पर सदस्यों को अपनी सीट पर जाने का आग्रह किया। किंतु, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दल के सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। हरिवंश ने सदस्यों से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह देते हुए सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की अपील की लेकिन सदस्यों ने इसे अनसुना कर दिया। इसके बाद उपसभापति ने बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
इससे पूर्व, सभापति नायडू ने शून्यकाल के दौरान विपक्षी सदस्यों को किसान आंदोलन का मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं दी, जिसके कारण उन्होंने सदन से वॉकआउट कर दिया। तत्पश्चात सदस्य प्रश्नकाल में सदन में लौटे और हंगामा करने लगे। नायडू ने सदस्यों से अनुरोध किया कि वह इस मुद्दे को बुधवार को सदन में उठा सकते हैं किंतु सदस्यों ने इसे अनसुना कर दिया।
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उल्लेखनीय है कि तीन नए कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमा पर किसान पिछले दो माह से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं। सरकार और किसान नेताओं के बीच आंदोलन को समाप्त करने और कृषि सुधार कानूनों पर 11 दौर की चर्चा भी हुई किंतु किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं।