पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है। इस चुनावी प्रतिस्पर्धा में कई राजनीतिक दल हिस्सा लेते नजर आ रहे हैं। इसी क्रम में बंगाल में एक नए राजनीतिक दल ने जन्म लिया है, जो सूबे की सत्तारूढ़ तृणमूल सरकार के लिए मुसीबत साबित हो सकती है। दरअसल, अजमेर शरीफ के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी सूफी मजार के प्रमुख पीरजादा अब्बास सिद्दीकी उर्फ़ भाईजान ने गुरुवार को कोलकाता में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) नाम से पार्टी का ऐलान किया।
भाईजान ने भाजपा टीएमसी पर साधा निशाना
बंगाल के टालटोला स्थित फुरुफुरा शरीफ नाम के इस सूफी मजार के 34 साल के भाईजान ने बंगाल चुनाव में शिरकत करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट मजबूती से चुनाव लड़ेगी। उन्होंने बंगाल में भाजपा के बढ़ने के लिए टीएमसी को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने मीडिया से कहा कि मेरा सिरदर्द तृणमूल कांग्रेस की चुनावी संभावनाएं नहीं हैं। सत्ताधारी पार्टी को भाजपा के मार्च को रोकने के लिए सभी को साथ में लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि नया राजनीतिक संगठन इंडियन सेक्युलर फ्रंट पश्चिम बंगाल विधानसभा की सभी 294 सीटों पर चुनाव लड़ सकता है।
बंगाल चुनाव की तैयारियों में जुटे भाईजान पूरे सूबे का दौरा करते नजर आ रहे हैं। वे लोगों से मिलकर खुद को मुस्लिम, दलितों और आदिवासियों का शुभचिंतक बता रहे हैं। सिद्दीकी का कहना है कि टीएमसी की वजह से ही बंगाल में भाजपा का उदय हुआ है। खास बात यह है कि अगर यह राजनीतिक फ्रंट बनता है, तो भाईजान के 26 साल के भाई पीरजादा नौशाद चुनाव में उम्मीदवार बनेंगे। नौशाद इतिहास में मास्टर डिग्री रखने के साथ बीएड भी कर चुके हैं।
भाईजान का कहना है कि उनका गठबंधन 10 पार्टियों के साथ होगा। सिद्दीकी की मानें तो उनके गठबंधन में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM भी शामिल हो सकती है, जो कि काफी पहले ही बंगाल में चुनाव लड़ने की मंशा जता चुकी है। बताया जाता है कि 3 जनवरी को ओवैसी ने सिद्दीकी से इसी सिलसिले में मुलाकात भी की थी।
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भाईजान ने बताया कि भाजपा देश की दुश्मन है। उन्होंने तृणमूल और अन्य पार्टियों पर अल्पसंख्यकों और गरीबों के वोटों से खेलने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन्हीं पार्टियों की वजह से भाजपा को बंगाल में पैर जमाने का मौका मिला और पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 18 सीटों पर जीत हासिल की। आगामी विधानसभा चुनाव में तृणमूल के वोट काटने के आरोपों पर सिद्दीकी कहते हैं कि उन्होंने टीएमसी को अपने साथ आने का न्योता दिया था। लेकिन उन्होंने बात नहीं सुनी।