आजकल लोगों में व्हाट्सऐप को लेकर गोपनीयता की चिंताओं की लहरे हिलोरे मारती नजर आ रही हैं। इसी वजह से लोग टेलीग्राम और सिग्नल की तरफ ज्याडा आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि देश और विदेश के आतंकियों ने इसका रास्ता निकाल लिया है। आतंकियों ने अपने साथियों से बात करने के लिए एक ऐसा तरीका अपनाया है जिसमें कोई भी डिजिटल फुटप्रिंट नहीं प्राप्त हो सकेगा। ये आतंकी बहुत अधिक उन्नत सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ( एनआईए ) की जांच में इसका खुलासा हुआ है।
एनआईए ने किया बड़ा खुलासा
मिली जानकारी के अनुसार, एनआईए ने इस्लामिक स्टेट इराक और सीरिया खोरासन प्रांत (आईएसआईएस-केपी) मामले में अपनी जांच के दौरान पाया है कि गिरफ्तार आरोपी जहांजीब सामी वानी और उसकी पत्नी हिना बशीर बेग और बेंगलुरु के डॉक्टर अब्दुल रहमान उर्फ डॉ ब्रेव थ्रीमा का इस्तेमाल कर रहे थे–एक सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म। वानी और बेग को मार्च 2020 में गिरफ्तार किया गया था, जबकि रहमान को अगस्त में गिरफ्तार किया गया था।
न्यूज एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार, 12 जनवरी को एक बयान में एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा था कि हाल तक रहमान भारत और विदेश के आईएसआईएस आतंकवादियोंके साथ नियमित रूप से एक सुरिक्ष मैसेजिंग प्लेटफॉर्म थ्रीमा के जरिए संपर्क में था, सामी भी इसके इस्तेमाल में शामिल था।
मंगलवार को खुलासे तब हुए जब आतंकवाद-रोधी जांच एजेंसी ने रहमान के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया, जो दिसंबर 2013 में सीरिया से लौटा था और प्रतिबंधित आतंकी समूह के लिए लेजर-गाइडेड मिसाइल प्रणाली विकसित करने के लिए अपने मेडिकल ज्ञान का दुरुपयोग कर रहा था।
नाम उजागर नहीं करने का अनुरोध करते हुए जांच से जुड़े एनआईए अधिकारियों ने बताया कि रहमान लेजर-गाइडेड सिस्टम पर एक परियोजना विकसित करने के लिए ऑप्थेलमिक संबंधी लेजर ज्ञान का इस्तेमाल कर रहा था, जिसके माध्यम से आईएसआईएस के लाभ के लिए लेजर तकनीक के माध्यम से एक अनगाइडेड मिसाइल के ट्रैजेक्टरी को बदला जा सकता है।
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एनआईए आईएसकेपी मामला दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा मार्च 2020 में जामिया नगर इलाके के ओखला विहार से वानी और उसकी पत्नी की गिरफ्तारी के बाद दर्ज किया गया है। एनआईए ने 20 मार्च, 2020 को जांच अपने हाथ में ले ली थी।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब एनआईए ने आईएस आतंकवादियों के साथ-साथ हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और अलकायदा के आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए गए सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के संबंध में जांच की है।