कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसानों और सरकार के बीच जारी तल्खी ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। दरअसल, शुक्रवार को किसानों और सरकार के बीच जारी आठवें दौर की बैठक एक बार फिर बेनतीजा ख़त्म हुई। करीब तीन घंटों के तक इस बैठक में ऐसे कई मौके आए जब बैठक में शामिल किसान सरकार के खिलाफ सख्त तेवर अपनाते नजर आए। हालांकि, सरकार ने किसानों को मनाते हुए बैठक जारी रखी। अब अगली बैठक 15 जनवरी को होगी।
जानिये बैठक के दौरान क्या हुआ ख़ास
दरअसल, शुक्रवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई इस बैठक में सरकार ने एक बार फिर किसानों के सामने कृषि कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव रखा लेकिन हर बार की तरह इस बार भी किसान संगठन इस क़ानून को रद्द करने की मांग के आगे अड़े दिखाई दिए। हालांकि इस बार कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों को दोटूक जवाब दिया की वह इस क़ानून को रद्द नहीं कर सकते, क्योंकि देश के कई किसानों को इस क़ानून से लाभ भी है।
सरकार का यह जवाब किसान संगठनों को रास न आया और उन्होंने लंगर करने और चाय पीने से भी मना कर दिया। तल्खी बढ़ने पर सरकार ने लंच ब्रेक का आग्रह किया तो किसान नेताओं ने कहा कि ना रोटी खाएंगे ना चाय पिएंगे। बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तीनों कानूनों पर बैठक में चर्चा हुई लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ। अगली चर्चा में समाधान की उम्मीद है। उधर इस बैठक के दौरान कई किसान तख्ती के साथ बैठे नजर आए, जिसपर लिखा था कि हम या तो मरेंगे या जीतेंगे।
एक न्यूज चैनल के अनुसार, बैठक के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि बैठक के दौरान तीखी बहस हुई। हमने कहा कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा कुछ नहीं चाहते हैं। हम किसी भी अदालत में नहीं जाएंगे, हम लड़ाई जारी रखेंगे। 26 जनवरी को हमारी परेड योजना के अनुसार होगी।
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सरकार का प्रतिनिधि करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री और पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने इस बैठक में हिस्सा लिया। जबकि आंदोलित किसानों का प्रतिनिधि 40 किसान संगठनों के नेता कर रहे थे।